रविवार, 18 अप्रैल 2010

विश्वदाय दिवस


प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी विश्वदाय दिवस अर्थात वर्ल्ड हैरीटेज डे मनाया गया! अभी विश्व स्मारकों पर निशुल्क प्रवेश प्रदान किया गया अत भयंकर भीड़ उमड़ी ! परन्तु उस भीड़ में से क्या कभी इस दिवस को मनाने के पीछे छिपे उद्देश्य को जानने का प्रयास किया ?

विश्व के स्मारक हमारी धरोहर है और इनका संरक्षण क्यों आवश्यकीय है ?आज जब मनुष्य अपनी पिछली पीढी से समबन्ध नहीं रखती तो उनके भी पूर्वजों के बनवाए स्मारकों की परवाह क्या करेंगे ?माता-पिटा अपने ही जीवन काल में त्याज्य हो गए है तो उनके माता-पिता और दादा-दादी के सस्मरण कब तक सहेजेगे ? स्मारकों की दुर्दशा, उन पर लव त्रय्गल बनाना ,कोयले और चाक से अश्लील चित्र उकेरना ,अश्लील सम्वाद अंकित करना इसी का परिणाम है ! चितन का विषय यह है की आने वाली पीढी इतनी गैर ज़िम्मेदार क्यों होती जा रही है? क्या हमारे द्वारा उनमे डाले जा रहे सस्कार अपर्याप्त है या हम अच्छे सस्कार देने की योग्यता ही नहीं रखते क्योकि हमने भी अपने बुजुर्गों को वो सम्मान नहीं दिया जिसके वे हकदार थे ?

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुंज सिकंदरा आगरा 282007

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