काली कमाई का सदुपयोग
सुविधा शुल्क, नम्बर दो की कमाई या काली कमाई ,एक ही शब्द भ्रष्टाचारके ही पर्यायवाची है,जिसके अधीन लगभग ९०% भारतवासी अपनी ज़िन्दगी गुज़ार रहे है चाहे देते है या लेते है!उसी क्रम मे एक नाम आज सुर्खियों मे रहे मैडीकल काउन्सिल आफ़ इन्डिया के अध्यक्छ डा.केतन देसाई जिन्हे किसी मैडीकल कालेज की अनुमति देने के एवज़ मे २ करोड रुप्ये की रिश्वत सहित सी बी आई ने गिरफ़्तार किया और आज इन्कम टैक्स के छापों मे १८०१ करोड कैश १५ क्विन्टल सोना (कीमत २५० करोड रुपये),१२ मर्सडीज़,१२बी एम ड्ब्लू कारे,१२ रोलैक्स घडियां(अनुमानित कीमत ढाई लाख प्रति घडी),दर्जनोशराब की बोतले,१२ मोबाईल कीमत १५ लाख रुपये और उ०प्र०,राज्स्थान,हरयाणा मे महल नुमा भवन आदि आदि!यह तो भारत के लाखो अरबपतियो मे से एकाध है !जो पकडा जाए सो चोर,बाकी सब साहूकार ! इस एक व्यक्ति की समपत्ति यदि किसी आदिवासी या डकैत बहुल छेत्र के विकास मे औद्द्योगिक विकास मे लगा दी जाये तो लोगो को बच्चे बेचने, आत्म हत्या करने या असलाह उठाने से रोका जा सकता है! पर भारत की सरकार की नीतिया अस्पष्ट होने के कारण ऐसा समभव नही है! उन बीहड चम्बल नदी की खारो को ऊसर सुधार योजनामे बलि चढाने बाद यमुना ऐक्सप्रेस्स वे,ग्रेटर नोय्डा वे के नाम पर किसान की सिंचित क्र्षी योग्य भूमि का अधिग्रहण कर उन्की रोज़ी रोटी छीनने मे कोई हिचक नही है?चिन्तन का विषय यह है किभ्रष्ट लोगो की काली कमाई का सदुप्योग मिनिस्टरो के ऐशो- आराम पर खर्च करना क्या उसी क्रम की पुन्राव्रत्ति नही है?क्या उस धन को अति पिछ्डे इलाको मे खर्च करना, जन समस्याओ का तुरत निदान करना गलत है?क्रषी- योग्य भूमि के स्थान पर ऊसर या बीहड मे सड्को का जाल बिछाना,उद्द्योग लगाना सरकार की नीति-नियोजन नही होना चाहिये? ज़रा सोचिये और साथियों को चिन्त्न के लिये विवश कीजिये १
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७
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