शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010

आस्था

आस्था और धर्म में अंतर है पर धर्म आस्था पर आधारित है ! आस्था कभी एक छन में उत्पन्न हो जाती है और कभी अनेकों वर्षों तक साथ रहने पर भी नहीं होती है ! आस्था का पाठ मानव अपने संस्कारों से सीखता है ! आस्था वास्तव में विश्वास का प्रतिफल है ,या यूं कहे विश्वास की निरंतरता ही आस्था की जननी है ! बच्चे की यह आस्था कि मुझे भूख लगाने पर माँ भोजन देगी, माता द्वारा निरंतर भोजन देने का प्रतिफल है !भगवन में आस्था,गुरू में आस्था भी इसी प्रकार से उत्पन्न होती है !यदि किसी के परामर्श या दबाव में मनुष्य एकाध बार किसी गुरू के paas या मंदिर जाता है और उसकी कोई मनो कामना पूर्ण होती है तो विश्वास जागता है ,फिर उस विश्वास की निरंतरता उसमे आस्था को jagaatee है













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