शनिवार, 24 अप्रैल 2010

गरीबी और धन का अपवय्य

गरीबी और धन का अपव्य्य
आई पी एल का भूत अब सिर चढ कर बोलने लगा है ! कल संसद मे भी उसने दस्तक दे दी और संयुक्त रूप से विपछ ने आई पी एल प्रकरण मे सरकार के मंत्रियों की संलिप्तता के कारण जेपीसी (ज्वाइन्ट पार्लियामैन्ट क्मैटी) के गठन की मांग की, ताकि शासक दल के मत्रियो और उनके रिश्तेदारो की मनमानी पर से पर्दा उठ सके और दूध का दूध और पानी का पानी हो सके! श्री मती सुष्मा स्वराज ने तो नारा लगा दिया" दाल मे काला ज़रूर है, अभी और भी थरूर है"! अब चिन्ता का विषय है कि क्या काग्रेस इसके लिये राज़ी होगी और यदि हो गई तो फ़िर उसकी रिपोर्ट आने बाद उसमे पाये गये अभियुक्तों को दन्डित करने लायक मनोबल और इच्छाशक्ति भी रखती है ? या फ़िर सदैव की भांति आई पी एल की समाप्ति के बाद यह रिपोर्ट ढ्न्डे बस्ते मे चली जायेगी ! क्या वह व्यक्ति जिसने गत वर्ष ३२ लाख का इन्कमटैक्स भरा और अगले वर्ष ही ३११ करोड का इन्कम टैक्स एड्वान्स भरा संशय के दायरे से बाहर हो जायेगा?वे स्वय्म कह रहे है कि "मैने बी सी सी आई की ५ वर्ष मुफ़्त सेवा की वो मुझे जवाब देने के लिये ५ दिन का समय नही दे सकती !"साथ ही प्राएवेट प्लेन से बार बार डुबाई जाते हैं और उस प्लेन का खर्चा २लाख रुपये प्रति घन्टे की दर से १००० घन्टे का भुगतान आई पी एल ने किया!पैसे की ऐसी बर्बादी उस देश मे जायज़ है जहां २००४ मे गरीबी २७.५% से बढ्कर ३७.२ % यानी १४ वर्षो मे १०% अधिक हो गई और सम्पूर्ण विश्व की गरीबी का १/३ हिस्सा गरीब भारत मे बसते है !फ़िर भी स्वतन्त्रता के ६३ वर्षो के बाद भी देश के उस तबके के लिये देश के जनसेवक कितने जागरूक है ? सभी आंकडे विभिन्न समाचारो के आधार पर आश्रित है यदि इसमे कोई दोष हो तो मै व्यक्तिगत रूप से छ्मा प्रार्थी हूं! फ़िर भी चिन्तन के पाठ्को के लिये मन्थन का विषय है और ईमैल से प्रचारित करने की अपेछा रखता हूं!
बोधि सत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

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