बुधवार, 7 मई 2014

सरकार के लिये नई चुनौती

मेरे विचार से  नई सरकार के लिये नई चुनौती मँहगाई से दो-दो हाथ करने की होगी ! इस सन्दर्भ मे अमित शाह और  नितिन गड्करी ने २५% तक मँहगाई कम करने का आश्वासन भी दे डाला है ,जो कि बहुत कठिन कार्य प्रतीत होता है ,लेकिन असम्भव कतई नही है ! हाँ कुछेक कठोर कदम उठाने के लिये सबसे पहले पहले पैट्रोल/डीज़ल के दामो को नीचे लाने के लिये सार्थक कदम उठाने होंगे, क्योंकि यदि इन वस्तुओं के दाम घटते है, तो माल-भाडा सस्ता होने की पहल शुरू होती है! इस्के लिये सरकार को बेशक टैक्स मे कमी करने का प्रयास करना पडेगा ! यध्यपि  राज्य सरकारें इस कदम के लिये आना-कानी करेगी,परन्तु इसका दूरगामी फ़ायदा उन्को भी पँहुचेगा ! दूसरे कोयला उत्पादन के लिये भी शीघ्र निर्णय लैना होगा और आयात बन्द करना होगा ,क्यौकि बिजली के उत्पादन को बढाने के लिये भी सस्ती दरों पर कोयला चाहिये और यदि बिजली का उत्पादन बढता है तो निसन्देह औध्योगिक उत्पादन जो विगत वर्षो मे घट कर ४% तक रह गया है बढ जायेगा ,जिससे रोज्गार के नये अवसर पैदा होगे और बन्द पडी सूत मिल ,चीनी मिल आदि का जो नैट्वर्क ठप्प हो गया है ,मज़दूर भुख्मरी और आत्म हत्या की कगार पर पँहुच गये है,उन्हे जीवन के प्रति पुनः आस्था जागॄत होगी ! तीसरे अब समय आ गया है जबकि भारत जैसे कॄषि प्रधान देश के लिये साइन्टिफ़िक (कम्प्यूटरीकॄत) खेती की सोच बढाई जाये ! कम्यूटर ग्राम सभाओं पर लगाने या नव युवको को मुफ़्त लैप्टाप बाँटने की बजाय उस  धनराशि को विधिवत तरीके से समय से पानी की उप्लब्धता,सूखे से निबटने का संकल्प,बाढ की बिभीषिका से निपटने के लिये साइंस की उप्योगिता बढाने के लिये श्वेत-पत्र जारी कर उस पर दॄढतापूर्वक लागू करने का प्रयास भी करना होगा ! अमेरिका मे कृषि की जोत-बही सरकार के कम्प्यूटरों मे उपल्ब्ध है ,जो किस खेत मे कब पानी की आवश्यक्ता है?,कब खाद की ?,कब निराई की ?, कब फ़सल कटने योग्य हो गई है आदि का निर्देश देने की छमता रखती है और तदनुसार कार्यान्वित भी की जाती है! यही प्रणाली शीघ्रातिशीघ्र अपनानी होगी ! यदि राजनैतिक दलों की चुनाव बाद भी तुष्टीकरण की राजनीति करने की आदत मे परिवर्तन नही होगा तो २०२० वीज़न भी एक सपना रह जायेगा ! वोट बैंक की राज्नीति से ऊपर उठकर सर्व धर्म सम्भाव से पछ-विपछ अध्य्यन कर एक सामाजिक समवर्धन का संकल्प लेकर काम शुरू करे और एक -दूसरे को नीचा दिखाने का नाटक बन्द कर देश को ऊपर उठाने के लिये कॄत संकल्प हों तो निश्चित रूप से मँहगाई तो कम होगी ही, आर्थिक निर्भरता बढेगी , चीन, अमेरिका से आयात पर केवल प्रतिब्न्ध  ही नही लगेगा वरन निर्यात के लिये भी नये-नये दरवाज़े खुलेगे!

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुँज्सिकन्दरा आगरा २८२००७

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें