योग एवं प्राक्रतिक चिकित्सा
बोधिसत्व कस्तूरिया२०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा
आज चिन्तन का विषय यह है कि क्या हम एलोपैथिक दवाईयों के गुलाम बन चुके हैं?आयुर्वेदिक,होम्योपैथिक और प्राक्रतिक चिकित्सा को छोड "तुरत दान महा कल्याण" के चक्कर मे बिभिन्न कैमीकल्स का गोदाम बनते जा रहे हैं! पारवारिक विघटन के कारण लोगों दादा _दादी के नुस्खे का लोगो को पता ही नही है!
आज यदि किसी को थोडा सा कब्ज़ हो जाता है तो वो चोकर,मिस्सी की रोटी या भुने चने की जगह कैस्टोफ़िन या कोई पेर्गटिव ले आते हैं! द्स्त होने पर ऎसब्गोल की भुसी और दही,मूग की दाल की खिचडी ,दही केला लेने के बजाय् तुरन्त मेट्रोज़ेल,ज़ैन्फ़्लोक्स आदि लेने दौड जाते है!ज़ुकाम मे तुलसी,अदरक,काली मिर्च का काढा पीने के बज़ायसीधे कोल्डारिन,विक्स ऐक्शन५००ले लेते है,बिना यह जाने कि् विदेशों मे प्रतिबंधित पैरासीटामौल की मात्रा कितनी है? क्या लम्बे समय तक इस्का सेवन हमारी किड्नी ,लीवर आदि को नुकसान तो नही पहंचा रही है?इन सभी का सीधा कारण है कि हम रेडी टु फ़ास्ट फ़ूड की तरह बिना साईड एफ़ैक्ट जाने "रेडी टु फ़ास्ट रिलीफ़ मैडीसन" लेने के अभ्य्स्त हो चुके हैं!नतीज़्तन हम लीवर,किड्नी की पथरी,कैंसर,टूयूमर जैसी से बीमारियों से भारी संख्या मे पीडित हो रहे है! हाईबीपी,शुगर,और ह्रदय रोग से पीडित हर घर मे मौज़ूद है! परन्तु हम अपने जीवन की शैली मे जो परिवर्तन कर चुके है उसमे कोई समझौता नही करना चाहते है! बच्चे देर रात तक कम्प्यूटर,टीवी देखते है,सुबह देर ८-९ बज़े तक सोते है ,पौष्टिक नाश्ता दलिया,पोहे आदि की बज़ाय चाऊमीन,मैक्रौनी खाते है! यदि इस दिन्चर्या मे सुधार कर ले और योग तथा पाक्रतिक चिकित्सा को अपना ले तो इस बीमारियों से स्व्तः मुक्ति प्राप्त हो जायेगी!महिलाये घर के काम- काज़ को छोड घंटो टीवी सीरियल देखती है और काम करती हैकाम वाली बाई तो स्वास्थ उन्का अच्छा होगा या माल्किन का ?वो तो हाईपर- टैन्शन,मोटापा,थाईराईड से ग्रस्त हो रही है!खेद का विषय यही है कि इन बीमारियों से बच्चे भी ग्रसित हो रहे है!
यदि निम्न बातों को जीवन शैली का अंग बना ले तो बीमारिया स्वतः दूर रहेगी:-
१. घर मे नौकरानियो से मुक्त रखे,अर्थात अपना घरेलू कार्य स्वयं तथा बच्चो के सहयोग से करें!
२.थोडी दूरी के लिये पैदल चले ,वाहन प्रयोग कम करें!
३.योग और प्राक्रतिक चिकित्सा को अपनी दिन चर्या का अभिन्न अंग बनाये!
४.दिन भर मे १० लीटर तक पानी पिये और ३ कि०मी० तक पैदल चले!
५ एलोपेथिक केवल जटिल बीमारियो और चोट आदि मे ही प्रयोग करे!

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