शुक्रवार, 20 अगस्त 2010

maananeeyoM kee balle balle

आज़ चिन्तन का विषय है कि जिस देश का किसान भूख से व्याकुल है, कर्ज़ के तले दब कर आत्म हत्या को विवश हो चुका है,विकास क्रे नाम पर विस्थापित किया जा रहा है और अपने अस्तित्व की अन्तिम  लडाई लडने को सडक पर उतर आया है, वहां माननीय सासद दीर्घा अपने मासिक वेतन की बढोत्तरी के लिये कितनी शान्ती से १६ हज़ार को बढाकर ५०ह्ज़ार कर लेती है !क्या इस मंह्गाई की सुरसा के दांत केवल माननीयों की गर्दन को ही दबोच रही है जो उनका वेतन ३ गुना से भी अधिक बढाने  का कदम उठाना पडा? इस महंगाई हेतु माननीय क्रषि मंत्री शरद पवार किसी भी ठोस कदम उठाने के लिये तेय्यार नही है और उस दिन का इन्त्ज़ार कर रहे हैं जब यह स्वतः बिना किसी ठोस कदम के समाप्त हो जायेगी ! किसी भी छेत्र मे ब्लेक्मार्केट-होर्डर पर कोई छापे की कार्यवाही नही हो रही है ,वर्ना दस छापे से हज़ार खुद- बखुद माल बाज़ार मे छोड्ने को मज़बूर हो जाते और कुछ न कुछ मंहगाई अवश्य प्रभावित होती ,पर माननीयो के चुनाव के सबसे बडे दानवीरो पर हाथ कौन डाले? एफ़ सी आई के गोदामो मे अनाज़ पडा सड  रहा है पर वो गरीबों को मुफ़्त नही बांटा जा सकता अन्य्था उनकी आर्थिक स्थिति मे इतना बडा परिवरतन आ जाता कि गरीबी के समी करण बदल जाते ! पिछले १६ वर्षो मे गरीबी १०%की दर से बढ रही है और पूजीपति माननीयो की श्रेणी मे आते जा रहे है ! कषि प्रधान देश मे कि्सान की दुर्दशा के लिये कौन ज़िम्मेवार है?
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा२८२००७

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