भोपाल गैस त्रासदी
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज
सिकन्दरा,आगरा २८२००७
२० हज़ार्लोगो की मौत के दोषियो का अन्तिम निर्णय१९ जजो की खण्डपीठ्ने २६ वर्षो के बाद दिया जिसमे ८ दोषियो को सिर्फ़ २ साल की कैद और ५ लाख का ज़ुर्माना घोषित किया ! परन्तु यूनियन कार्बाईड के तत्कालीन चेय्ररमैन वारेन एन्डरसन की रिहाई इस बात को सिद्ध कर रही है कि तत्कालीन मुख्य मंत्री श्री अर्जुन सिघं जी की भूमिका कितनी संदिग्ध है? चिन्तन का विषय यही है कि इतने बडे काण्ड के प्रमुख अपराधी को कैसे ४ दिन मे ज़मानत मिली और कैसे स्वयं ज़िला अधिकारी उनको एयर पोर्ट तक जीप मे बिठा कर छोडने आए और दिल्ली के बजाय स्पेशल प्लेन से वह इन्ग्लैन्ड भाग सका?
जनता दल के अध्यक्छ डा० सुब्रम्ण्यम स्वामी ने आरोप लगाया है कि अर्जुन सिघं की एन् जी ओ को ३ करोड रुपयो का अनुदान यूनीयन कार्बाईड ने किस लिये दिया गया था? अर्जुन सिघं की चुप्पी मौन स्वी्कारोक्ति प्रतीत होती है कि इतने बडे अपराधी को उनका संरछ्ण प्राप्त था, जिसकी वज़ह से वह ज़मानत पर छूट्ने के बाद फ़रार हो गया और वो भी प्रशासनिक मदद से! आखिर अपराधियो को राज्नैतिक संरछण कब तक मिलता रहेगा? कब तक साधारण जनता जनतत्र मे भी राजतत्र की तरह शोषण का शिकार होती रहेगी? आज स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि झारखन्ड के १९ मत्री अपराधी है?
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