लोकपाल विधेयक को लेकर इतनी तू-तू मै-मै हो रही है कि अन्ना कैम्प ने कपिल सिब्बल के संसदीय छेत्र चाँदनी चौक पर हमला बोल दिया ! यँहा कार्य कर्ता घर और दूकान पर जाकर भ्रष्टाचार के उन्मूलन विधेयक पर अपनी मुहीम चला रहे है कि प्रधान मंत्री कोलोकपाल विधेयक के अन्तर्गत शामिल किया जाय अथवा नही ? क्योंकि उनका सांसद उक्त सिधान्त का घोर विरोध कर रहा है और विधेयक को पारित नही होने दे रहा है ! समझ मे नही आता है कि केवल प्रधान मंत्री पद को उस सीमा मे लाने के लिये अलग से कवायद क्यों की जारही है,क्या केवल शब्द"जन प्रतिनिधि " का समावेश अर्प्याप्त है?उससे पहले चिन्तन का विषय यह है कि क्या भ्रष्टाचार के विरुद्ध भारतीय दन्ड विधान की धारायें काफ़ी नही हैं? प्रशन उठता है कि विगत ६५ वर्षों मे भ्रष्टाचार इतना क्यं बढ गया ?मेरे विचार से इसके लिये उत्तर दायी है हमारा -आपका मनोबल और नैतिकता जिसका शनैः शनैः ह्रास होता जा रहा है और भौतिक्वादी विचार धारा अध्यात्मिक पर हावी होती जा रही है !पहले साएकिल पर चलने वले ,और किराये के मकान मे रहने वाले को स्म्मान की द्रष्टै से देखा जाता था,परन्तु अब तो जिसके पास चार -पाँच वाहन हो दो-चार मकान हो उसे सम्मान किया जाता है बेशक उसने यह सम्पदा भ्र्ष्ट तरीके से अर्जित की हो!वही धर्माचार्य और नेता की पदवी से सुशोभित होता है!
यह एक सिद्ध!न्त है कि "एक भ्रष्ट व्यक्ति के पीछे उसका लालची परिवार होता है " अर्थात मनुष्य की बढती आवश्यक्तायें और इक्छाये उसे सदैव से पतित बनाती चली आई हैं! परिणाम यह है कि मनुष्य को उन पर अँकुश लगाना अत्यावश्यक हैअन्य्था भ्र्ष्टाचार अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच जायेगा ! उसे मिटाने के लिये पर्याप्त कानून् विद्द्यमान है किसी विधेयक की आवश्यकता नही है ,आवश्यकता है उससे लडने के लिये आत्म शक्ति की जिसका हमारे अन्दर सर्वथा अभाव होता जा रहा है ! अपने स्वार्थ वश हम किसी भी तरीके को अपना लेते है अथवा उसके लिये भ्र्ष्ट आदमी का न तो बहिष्कार करते है और न ही प्रतिकार करने हेतु खडे होते है !महाकाव्य काल मे भी राम चरित मानस मे कहा गया"जब -जब होय धर्म की हानी,तब-तब बढे असुर,अधम,अभिमानी !" यछ प्रश्न यह है कि धर्म कया है ?यदि कोई समाज किसी नियम का अनुपालन करता है तो वह न्याय स्म्गत है यदि उसका बहिष्कार करता है या अनीति की श्रेणी मे रखता है तो वह अधर्म है ! आज यदि हम भ्र्ष्ट लोगो को अंगीकार कर रहे है तो यह धर्म है और यदि भ्रष्ट लोगो का बहिष्कार प्रारम्भ करते है तो यह धर्म होगा !आज लोग भविष्य ,पाप,पुण्य से भयाक्रान्त नही है वे आज मे जीने के लिये सही-गलत सभी उपाय स्वीकार कर रहे है ,क्योंकि उनकी आत्म्शक्ति का ह्रास हो चुका है!आज पत्र-पत्रिकाओं मे वे ही दिखते है जो १५-२० वर्षो मे ही ह्ज़ार से सीधे करोड्पति बन गये हो!माध्यम और उसके परिणाम पर चर्चा तब होती है ,जब वह पकडा जाता है, अन्य्था वही हीरो है! सेल्स टैक्स,इनकम टैक्स ,एजूकेशन ,न्याय विभाग,पुलिस विभाग ,पीड्ब्लूडी आदि सभी विभाग युग युगान्तर ए ऊपर्से नीचे तक रिशवत की दम पर ही चलता है हम देते है और वो लेते है ! दोषी कौन है ?हमारा स्वार्थ कि हम अपना काम अस दिन की बजाय एक दिन मे ही करवा ले चाहे कितनी भी रकम खर्च करनी पडे !प्रशासन भी आ~ख मूदे है क्योंकि अधिकारी भी हम और आप का ही अंश हैं !आज सीबीसी के निदेशक ने कहा कि सी बी एस ई के पाठ्य्क्रम मे भ्र्ष्टाचार के विरुद्ध पाठ्य्क्रम तैय्यार हो ताकि अगली नसल उसे अधर्म समझे,भ्र्ष्टाचार स्वतः ही मिट जावेगा !
बोधिसत्व कस्तूरिया एड्वोकेट
निदेशक कस्तूरिया कैरियर एन्ड बिज़्निस क्न्सल्टैन्ट
२०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा२८२००७
मो:९४१२४४३०९३
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