आज चिन्तन का विषय है कि मँह्गाई की मार से मर १.२५ अरब जन्ता का दर्द "युव्राज " को नही दिखता ! उन्हे तो दिखता है केवल २०१२ का उत्तर प्रदेश का चुनाव ! इसी तारतम्य मे भट्टा-पा्रर्सौल अलीगढ की किसान पंचायत जहाँ टिकटाआर्थीयों ने लम्बी-लम्बी फ़ौज़ जुटाई और किसान बताया ! यह सच है कि ४०-वय पर उन्हे यह बुद्धि आ गई कि नेहरू परिवार का वंशज़ होने से सत्ता नही मिलेगी ,यह प्रजात्न्त्र है ञहाँ जनता के बीच जाना ही होगा ! कल के हीरो राहुल गाँधी नही ,बल्कि उस साधारण व्यक्ति को कहा जाय जिसने साहस किया और उनसे यह कह दिया कि " माया ने किसान के खेत छीन लिये,और काँग्रेस ने मँहगाई बढा कर किसान के मुँह से निवाला छीन लिया !" तो अतिश्योक्ति नही होगी! बतौर शासक दल पिछले ६५ वर्षों मे काँग्रेस ने भू- अधिग्रहण कानून को संसद से पारित क्यों नही करवाया ?आज युवराज जान गय कि काँग्रेस को "फ़ूट डालो और शासन करो"की ब्रिटिश शैली को बदलना होगा ! जातिवादी समीकरण पर टिकट तो अभी भी बँटेगे ,परन्तु भारत की सबसे बडी बिरादरी किसान है, न कि दलित या मुस्लिम ,जिन्के खिसक जाने से काँग्रेस का अस्तित्व ही खिसक गया !जब तक द्दलित और मुस्लिम ऊनके पाले मे थे अनके पौ बारह थे अब खिसक गये तो सता के लाले हैं!
बोधिसत्व कस्तूरिया (एड्वोकेट)
निदेशक
कस्तूरिया कैरियर एन्ड बिज़निस कंसलटैन्ट
२०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७
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