मंगलवार, 30 सितंबर 2014

"केम छो मिस्टर प्रेसीडैन्ट ?"

मोदी जी की अमरीका यात्रा वॄतान्त को टी०वी० चैनल पर जिसने देख लिया ,यदि भा०ज०पा० का समर्थक है तो निश्चित रूप से उनका दीवाना हो चुका है और गैर भा०ज०पा० का है तो पगला गया होगा कि आखिर एक आदमी को इतना समर्थन विदेशों मे कैसे मिल सकता है ? अब तो वो सभी भी चुप है जो कहते थे कि बनारस मे मोदी के लिये पैसे देकर भीड इक्ठ्ठी की गई थी, हाँ अब यह शिगूफ़ा छोड दिया है कि न्यू योर्क मे तो गुज़राती अधिक है इसीलिये पहले वहाँ मोदी जी गये,जब कि आज वही दीवानगी वाशिंग्टन मे  भी भारतीय लोगों मे मौज़ूद थी,जब वो भारतीय दूतावास के सामने महात्मा गाँधी की मूर्ति पर श्रद्धा सुमन चढाने गये थे ! अब गैर भा०ज०पा० वालों को इस सर्व मान्य सत्य को झुठलाने की कोई वजह नही है कि यह वो शख्सियत है जो अप्नी जगह खुद बनाता है वर्ना चाय बेचने वाला ओबामा के बाद सोशल साईट्स पर खोजा जाने वाला दुनिया का दूसरा राजनेता नही बन जाता! जिस व्यक्ति की इच्छाशक्ति इतनी दॄढ है कि वो दुनिया के सबने ताकतवर देश के राष्ट्र्पति को ९ साल बाद उसी के देश मे आने के लिये वीज़ा देने के लिये बाध्य करदे! इसीलिये कहते है कि
"खुद को कर बुलन्द इतना कि खुदा खुद तुझसे पूछे- बता तेरी रज़ा कया है?"खुदा ने पूछा मोदी तेरी रज़ा कया है? तो मोदी बोले कि"जिस आदमी ने उन्हे अपने देश मे आने से किसी के कहने पर आने से रोक दियाहै उस आदमी की आँखो मे आँखे डाल कर पूँछू "केम छो मिस्टर प्रेसीडैन्ट?"
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

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