मंगलवार, 4 फ़रवरी 2014

दिल्ली अभी दूर है!

तीसरे मोर्चे की नई परिकल्पना ने मुन्गेरी लाल (मुलायम सिह) के सपनो को ग्रहण लगा दिया है! कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रकाश करात जो कुछ दिन पहले तक मुलायम सिह जी को भावी प्रधान मंत्री की संभावनाओ के साथ तीसरे मोर्चे का नेतॄत्व सौपने को राजी थे ,अचानक तमिल नाडु के मुख्य मंत्री माननीया जय ललिता जी की गोद मे जा बैठे,और वाम मोर्चे की कमान सौपते हुये, गठ्बन्धन कर लिया कि प्रधान मंत्री पद की दावे दारी उनकी रहेगी! "अम्मा"की पार्टी भे यह कह रही है कि जब देव गौडा और पी०वी०नरसिम्हा राव दछिण से प्रधान मंत्री बन सकते है तो सबसे बडे दछिण के प्रान्त की मुख्य मंत्री देश की प्रधान मंत्री क्यो नही बन सकती? एक और समीकरण भी माननीय मुलायम सिह जी की आकाछाओं पर पानी फ़ेरता दिख रहा है!यह कि ब०स०पा० और तॄण्मूल काँग्रेस् भी अडंगा डालेंगी ! स०पा० और ब०स०पा० की दुश्मनी जग जाहिर हो चुकी है और राष्ट्र्पति के चुनाव मे ममता जी को जिस प्रकार मुलायम ने धोका दिया, अभी वो भी उसे भुला नही पाई
हैं,दूसरे जिस गठ्बन्धन (वाम मोर्चे) के विरोध से वो स्व्यं सत्ता मे आई है ,उससे कन्धा मिलाकर कैसे चलेंगी? इधर यह भे सत्य है कि इन पार्टीयों के असतित्व को भी राष्ट्रीय-राजनैतिक परिपेछ्य मे नकारा नही जा सकता है ! चिन्तन का विषय यह भी है कि यदि कम्यूनिस्ट पार्टी के विरोध के फ़लस्वरूप यदि ममता और मुलायम की जुगल्बन्दी हो भी जाये,तो भी "दिल्ली अभी दूर है!"तात्पर्य यह है कि बैचरिक मतभेद के वावज़ूद गठबन्धन की राजनीतिके बिना कोई पार्टी उप्लब्ध बहुमत प्राप्त नही कर अकती है! छेत्रीय-छत्रपों के इरादे कम और महत्वाकाछायें अधिक होने के कारण वे एक दूसरे की टाँग खीचते रह जायेंगे और राष्ट्रीय पार्टी चाहे काँग्रेस या भारतीय जनता पार्टी ही कुछ छत्रपों को पाल पोस कर सत्ता हथिया लेंगें !
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७
मो:९४१२४४३०९३

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