आज यमुना और गंगा नदी के शुद्धीकरण हेतु रोज़ अनेकानेक स्वयंसेवी सस्थायें कभी पौलीथीन बीनो अभियान,कभी कूडा -करकट हटाओ अभियान चलाकर जन जागरण कम और अपनी पब्लीसिटी अधिक करते है! गाहे बगाहे यह भी सिद्ध करने की कोशिश करते है कि सरकार सो रही है और यदि हम न जगाये तो कुछ नही होगा ! यद्दपि केन्द्र और राज्य सरकारें सदैव से प्रयास करती रही है जिसके फ़लस्वरूप अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से प्राप्त धन से जापान सरकार के सहयोग से "यमुना एक्शन प्लान"के तहत सीवर ट्रीटमैन्ट ,फ़िल्टर कर नालों का पानी शुद्धीकरण १५-२० वर्ष पहले हुआ था,पर नतीज़ा वही "ढाक के तीन पात"!
चि्न्तन का विषय यह है कि इन पवित्र नदियों को अपवित्र कर नालों का रूप किसने प्रदान किया? दूसरा जिन्होने किया ,उन्हे रोकने का कोई उपाय किया गया ?और यदि किया गया तो सफ़ल क्यों नही हुआ?इन सभी प्रश्नो का एक ही उत्तर है कि सरकार के प्रयास असफ़ल इसलिये हुए क्योंकि हमने तन मन धन से सहयोग नही किया! प्र्यावरण प्रदूषण हो, ट्रैफ़िक जाम की समस्या या भूगर्भीय जल का अनावश्य्क दोहन,अथ्वा ट्रैफ़िक नियमो की अवहेलना के कारण हुई आक्स्मिक दुर्घट्ना-घायल हों या उससे म्रत्यु,सब के लिये सरकार उत्तर्दायी है और मुआवज़ा दे वर्ना आगजनी,जाम ,सरकारी सम्पति का विनाश आदि!
अब प्रश्न यह है कि फ़िर इसका निवारण क्या है ?इन सब के लिये हम दोषी है क्योकि हम अप्ने अधिकारो को तो जानते है परन्तु सामाजिक कर्तव्य या उत्तर्दायित्व से अन्भिग्य! आज से १०-१५ वर्ष पूर्व यदा-कदा देवी देवताओ की प्रतिमाओं का विसर्जन होता था, परन्तु अब हर गली-कूचें लाखो प्रतिमाओ की स्थापना,देवीजागरण,गण्पति पूज़न की स्थापना और मूर्ति विसर्ज़न करना अब फ़ैशन्बन गया है और मौज़ -मस्ती करने वालों के लिये खाने-पीने का साधन,बेशक उसके ही परिणाम स्वरूप लाखो मूर्ति की मिट्टी,फ़ूल और पूज़न सामिग्री टनो नदियों मे ही प्रवाहित कर दी जाती है,जिसके लिये कोई नियमावली नही है अतः नदियों की गहराई शनेःशनेः कम हो रही है और प्रदूषित हो रही है !हम गुटका खाते है पौलीथीन का प्रयोग करते है उसका अवशिष्ट नालो में नदियों में फेंक देते है या फिर बह कर आते है ,परिणाम आपके सामने है कि फिर पवित्र नदी अपवित्र भी हम ही कर रहे है कारण हमारी आने वाली पीढी पर्यावरण प्रदूषण का पाठ पढ़ा रहे है आत्मसात नहीं कर रही है और नहीं अभिवावक ऐसा न करने के लिए प्रेरित कर रहे है बल्कि अपने को धार्मिक पवित्र सिद्ध करने के लिए धर्म की पर्याय पावनी गगां और यमुना को प्रदूषित कर रहे है !
बोधसत्व कस्तूरिया
एडवोकेट २०२ नीरव निकुंज सिकंदरा आगरा २८२००७
9412443093

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें