"मुझे हिन्दुस्तानी होने पर शर्म आती है" कह्कर राहुल गाँधी ने शायद गरीब ,अनपढ जनता का दिल जीत लिया हो या शायद काँग्रेस के लिये कुछ वोट जुट लिये हो,पर शायद प्रबुद्ध जनता इन शब्दों को अनेकों मंन्च से अनेकों नेताओं के मुख से सुन चुकी है,अतः हास्यासापद प्रतीत हुआ ! नौएडा का भट्टापार्सौल हो या गढी रामी आगरा की घटना पर पूरा देश इस चिन्तन मे डूबने के लिये बाध्य है कि भारत के संविधान निर्माताओं का भारत को गणतन्त्र घोषित करना मात्र एक औपचारिकता थी या ढकोसला ? स्वतंत्र भारतीय प्रजातंत्र मे जलियाँवाला बाग की पुनराव्रत्ति इस बात की द्योतक है कि तब भी शासक वर्ग अपना कोडा बरसा कर प्रशासन चलाता था और आज भी ! कुछ भी नही बदला है पिछले १०० वर्षों मे ,केवल सत्ता बदली है! भारतीय संविधान मे सम्पत्ति का मौलिक अधिकार प्रदत्त अवश्य है,पर केवल पुस्तको तक , ताकि विश्व मे हम सभ्य- समाज़ की श्रेणी मे शामिल हो जाँय ! स्वतंत्रता के ६४ वर्षो मे भी देश का नागरिक अपनी पुशतैनी ज़मीन, जिसको वो अपनी माँ मानता है, क्योंकि वह उसे धन-धान्य दोनो ही प्रदान करती है ,उस पर भी उसका नही बल्कि सरकार का अधिकार होता है ! सरकार अपनी सहूलियत के हिसाब से उस अधिकार का प्रयोग कर किसी भी काश्तकारी ज़मीन पर से एक्स्प्रेस वे की लाइन खींच देगी ! ५००-८००रु प्रति वर्ग गज़ का मुआवज़ा देकर ज़मीन हथिया ली जाती है फ़िर २००० से २५०० रु प्रति वर्ग गज़ के सौदे बिल्डर्स के साथ कर लेगी,जो उसे थोडा डवलप कर १२००० से १५००० रु प्रति वर्ग गज़ से बेच देगा ,अर्थात फ़ायदा पूंजीपतियों का ही ताकि बेशक हज़ार दस हज़ार किसान बेघर- बार हो जाए लेकिन किसी एक भी पूंज़ीपति का नुकसान न हो, क्योंकि वो ही तो इन राजनैतिक- पार्टियों के दान -दाता हैं ! प्रबुद्ध वर्ग के लिये चिन्तन के प्रमुख मुद्दे है :-
१. क्या समपत्ति का अधिकार निरर्थक है?
२.सरकार को क्या अधिकार है कि वह क्रषि योग्य भूमि को गैर क्रषि कार्य के लिये प्रयोग करे?
३.क्या ब्रिटिश सरकार के पुलिस तंत्र और आज के पुलिस तंत्र मे रत्ती भर भी फ़र्क है?
४ क्या क्रषि मंत्रालय बता सकता है कि क्रषि प्रधान देश की पिछले ६५ वर्षो मे कितनी हैक्टेयर भूमि का दुरुपयोग हुआ है?
५.सरकार इन्फ़्रास्ट्रक्चर के नाम पर कितने घर और गाँव बर्बाद करेगी जिसे कई पुशतॆ बनाने मे लगी है?
बोधिसत्व कस्तूरिया एड्वोकेट २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें