बुधवार, 15 दिसंबर 2010

तेल का खेल

कल रात १२ बजे से पैट्रोल की कीमत मे २.९६ रु. का इज़ाफ़ा सरकार ने घोषित कर दिया और लागू भी हो गया ! विगत ६ माह मे ७.६० पैसे की व्रद्धि हुई ,जो कि पिछले तीन सालो मे हुई ब्रद्धि से ज़्यादा है!
यह व्रद्धी करने के पीछे सरकार ने तेल क्म्पनियों के घाटे की पूर्ति को कारण बताया! डीज़ल के साथ गैस पर निर्णय मन्त्रि-परिषद की २२ तारीख की बैठक मे होगा जिसमे गैस पर ३०रु. की व्रद्धि की अपेछा की जा रही है!चिन्तन का विषय यह है कि बेतहाशा मूल्य-व्रद्धि पर अंकुश लगते ही सरकार ने यह चोट दी है जिसका प्रभाव सभी जिन्सों के ऊपर पडेगा और परिणामत: मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग फ़िर पिसेगा! उच्च वर्ग के आय के अनेको स्रोत होते है -कुछ प्रत्यछ और कुछ अप्रत्यछ जिसे नम्बर दो की कमाई कहा जाता है इस अघोषित आय का कुच भाग सरकारी तंत्र को देकर जान छूट जाती है और फ़िर यह पैसा शादी -विवाह ,जन्मोत्सव,किटी-पार्टी बडे होटलो मे ऐश,हवाई-यात्राओ पर खर्च, स्वयं अथवा परिवारीजनो द्वाराइसी लिए  किया जाता है कि ताकि वे सम्भ्रान्त एवं अभिजात्य वर्ग के अलग से परिलछित हों !
भ्रष्टाचार की जडें इतनी मज़बूत हैं एक मत्री जिसके लिये संसद का शीत- कालीन सत्र और एक करोड चालीस लाख का खर्च ,भेंट चढ गया अपर्याप्त है! कारपोरेट सैक्टर के दिग्ग्ज़ रतन टाटाअपने मुँह से मलाई पोंछ कर कितना कह ले कि वे भ्रष्ट नही है ,यह सर्व मान्य तथ्य है कि व्यापारियो से राजनीत और राजनीति से सरकार चलती है और दोनो के लिये पैसा चाहिये वो भी गाढी-कमाई का नही बल्कि नम्बर दो का !कार्पोरेट्जगत को लाभ पहुँचाने के लिये ही संसद का सत्र समाप्त होते ही मंत्रि-परिषद की बैठक कर पैट्रोल की कीमत तुरन्त प्रभाव से बढा दी गई ताकि जिन्के पास स्टाक मे जितना भी माल भरा हो रातों-रात वो लाखो-करोडो के वारे-न्यारे कर सकें,बेशक गरीब को सुबह साइकिल से कारखाने और दफ़्तर जाना पडॆ! वाह रे प्रजातंत्र-जनता का शासन, जनता के द्वारा,जनता के लिये?

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

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