शनिवार, 4 दिसंबर 2010

जीवन एक मकान किराये का,

जीवन एक मकान किराये का,


फ़िर यामे रहिबे को सुख कहे का! जीवन एक.....

कौन दिना नोटिस आ जावे,

कोऊ न जाने, फ़िरहूं घूमे इतराये सा! जीवन एक....

या जीवन मे आना है एक मानी,

नही किया कुछ, बेकार फ़िरै बौराये सा !जीवन एक.....

तन मिट्टी का,याही मे मिल जावेगा,

चौथेपन मे जागे से,का मिल पायेगा ! जीवन एक.....

धन-दौलत ,दुमहले, यहीं छुट जावेगा,

मानव-धर्म का भरम तभी टुट जायेगा !जीवन एक.......

या जीवन जब कछु नही कर पावेगा,

दूजी यौनी मे फ़िर,का तोप चलावेगा ! जीवन एक......

बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

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