आज चिन्तन का विषय यह है कि विगत एक माह मे भारत की साख विदेशों मे बढ गई है या भारत पर विदेशियों का आर्थिक दबाब बढ गयाहै? विश्व के पाँच सुपर पावर देश अमरीका, रूस, ज़र्मनी, फ़्राँस और चीन के राष्ट्राध्यछ अथवा प्रधान -मत्री का आगमन और अनेकों सम्झौते इस बात के द्योतक हैं कि इन सभी देशों की निगाह भारत की सुद्रढ अर्थ-व्यवस्था से ज़्यादा यहाँ के बाज़ार के दोहन की है !यह देश का प्रधान-मंत्री है फ़िर भी देश की अर्थ-व्यव्स्था ताक पर रख आयात करने के समझौते पर हस्ताछर हुये हैं,बदले मे सैनिक साज़ो-सामान की खरीद अथवा इन्फ़्रास्ट्र्क्चर हेतु करार किये गये हैं,जिनमे भी भारत को केवल खर्च करना पडेगा या उधारी और ब्याज चुकाना पडेगा ! प्रश्न यह है कि ऐसा करन्र के पीछे भारतीय प्रधान-मंत्री की क्या मज़बूरी थी ,जो उनके साथ बिना भारतीय हितो को देखे करार पर ह्स्ताछर करने पडे ? केवल अन्तर-राष्ट्रीय साख बनाने के लिये ताकि भारतवर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरछा समिति का स्थाई सदस्य बनने के लिये विश्व समर्थन प्राप्त कर सके ,जब कि वह इसमे भी ५०% ही सफ़ल हो सका ! लेकिन जिस देश का २७६८१२ करोड का घाटे का बज़ट (२००९-१०) हो ! जिस देश का प्रत्येक नवजात शिशु लगभग १५०० रु का कर्ज़ लेकर पैदा हो रहा हो इस प्रकार के करार सही है ?क्या यह मँहगाई की सुरसा जो कि देश की ६०% गरीब जनता को खाये जा रही है उसके लिये और अधिक भोज्य तैयार करने जैसा नही है ?क्योंकि पिछले एक वर्ष मे पैट्रोल के दाम मे १२ रु० की खाद्यान मे १५-२०% की व्रधि तथा डीज़ल मे २रु० की एवं घरेलू गैस मे ५० रु० की अपेछित व्रधि निश्चित है ! अर्थात सभी खाद्य सामग्री, आटा,दाल-चावल के भाडे के माध्यम से मँहगाई अवशय्म्भावी है! इन मुद्दों पर से जनता का ध्यान हटा कर सरकार "मेरा भारत महान " सिद्ध करने की चाल चल रही है ! ऐसा न हो कि "फ़ील गुड"के चक्कर मे प्याज़ फ़िर से सरकार को लुढ्का दे और सारे समझौते धरे के धरे रह जायें !
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७
बुधवार, 22 दिसंबर 2010
बुधवार, 15 दिसंबर 2010
तेल का खेल
कल रात १२ बजे से पैट्रोल की कीमत मे २.९६ रु. का इज़ाफ़ा सरकार ने घोषित कर दिया और लागू भी हो गया ! विगत ६ माह मे ७.६० पैसे की व्रद्धि हुई ,जो कि पिछले तीन सालो मे हुई ब्रद्धि से ज़्यादा है!
यह व्रद्धी करने के पीछे सरकार ने तेल क्म्पनियों के घाटे की पूर्ति को कारण बताया! डीज़ल के साथ गैस पर निर्णय मन्त्रि-परिषद की २२ तारीख की बैठक मे होगा जिसमे गैस पर ३०रु. की व्रद्धि की अपेछा की जा रही है!चिन्तन का विषय यह है कि बेतहाशा मूल्य-व्रद्धि पर अंकुश लगते ही सरकार ने यह चोट दी है जिसका प्रभाव सभी जिन्सों के ऊपर पडेगा और परिणामत: मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग फ़िर पिसेगा! उच्च वर्ग के आय के अनेको स्रोत होते है -कुछ प्रत्यछ और कुछ अप्रत्यछ जिसे नम्बर दो की कमाई कहा जाता है इस अघोषित आय का कुच भाग सरकारी तंत्र को देकर जान छूट जाती है और फ़िर यह पैसा शादी -विवाह ,जन्मोत्सव,किटी-पार्टी बडे होटलो मे ऐश,हवाई-यात्राओ पर खर्च, स्वयं अथवा परिवारीजनो द्वाराइसी लिए किया जाता है कि ताकि वे सम्भ्रान्त एवं अभिजात्य वर्ग के अलग से परिलछित हों !
भ्रष्टाचार की जडें इतनी मज़बूत हैं एक मत्री जिसके लिये संसद का शीत- कालीन सत्र और एक करोड चालीस लाख का खर्च ,भेंट चढ गया अपर्याप्त है! कारपोरेट सैक्टर के दिग्ग्ज़ रतन टाटाअपने मुँह से मलाई पोंछ कर कितना कह ले कि वे भ्रष्ट नही है ,यह सर्व मान्य तथ्य है कि व्यापारियो से राजनीत और राजनीति से सरकार चलती है और दोनो के लिये पैसा चाहिये वो भी गाढी-कमाई का नही बल्कि नम्बर दो का !कार्पोरेट्जगत को लाभ पहुँचाने के लिये ही संसद का सत्र समाप्त होते ही मंत्रि-परिषद की बैठक कर पैट्रोल की कीमत तुरन्त प्रभाव से बढा दी गई ताकि जिन्के पास स्टाक मे जितना भी माल भरा हो रातों-रात वो लाखो-करोडो के वारे-न्यारे कर सकें,बेशक गरीब को सुबह साइकिल से कारखाने और दफ़्तर जाना पडॆ! वाह रे प्रजातंत्र-जनता का शासन, जनता के द्वारा,जनता के लिये?
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७
यह व्रद्धी करने के पीछे सरकार ने तेल क्म्पनियों के घाटे की पूर्ति को कारण बताया! डीज़ल के साथ गैस पर निर्णय मन्त्रि-परिषद की २२ तारीख की बैठक मे होगा जिसमे गैस पर ३०रु. की व्रद्धि की अपेछा की जा रही है!चिन्तन का विषय यह है कि बेतहाशा मूल्य-व्रद्धि पर अंकुश लगते ही सरकार ने यह चोट दी है जिसका प्रभाव सभी जिन्सों के ऊपर पडेगा और परिणामत: मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग फ़िर पिसेगा! उच्च वर्ग के आय के अनेको स्रोत होते है -कुछ प्रत्यछ और कुछ अप्रत्यछ जिसे नम्बर दो की कमाई कहा जाता है इस अघोषित आय का कुच भाग सरकारी तंत्र को देकर जान छूट जाती है और फ़िर यह पैसा शादी -विवाह ,जन्मोत्सव,किटी-पार्टी बडे होटलो मे ऐश,हवाई-यात्राओ पर खर्च, स्वयं अथवा परिवारीजनो द्वाराइसी लिए किया जाता है कि ताकि वे सम्भ्रान्त एवं अभिजात्य वर्ग के अलग से परिलछित हों !
भ्रष्टाचार की जडें इतनी मज़बूत हैं एक मत्री जिसके लिये संसद का शीत- कालीन सत्र और एक करोड चालीस लाख का खर्च ,भेंट चढ गया अपर्याप्त है! कारपोरेट सैक्टर के दिग्ग्ज़ रतन टाटाअपने मुँह से मलाई पोंछ कर कितना कह ले कि वे भ्रष्ट नही है ,यह सर्व मान्य तथ्य है कि व्यापारियो से राजनीत और राजनीति से सरकार चलती है और दोनो के लिये पैसा चाहिये वो भी गाढी-कमाई का नही बल्कि नम्बर दो का !कार्पोरेट्जगत को लाभ पहुँचाने के लिये ही संसद का सत्र समाप्त होते ही मंत्रि-परिषद की बैठक कर पैट्रोल की कीमत तुरन्त प्रभाव से बढा दी गई ताकि जिन्के पास स्टाक मे जितना भी माल भरा हो रातों-रात वो लाखो-करोडो के वारे-न्यारे कर सकें,बेशक गरीब को सुबह साइकिल से कारखाने और दफ़्तर जाना पडॆ! वाह रे प्रजातंत्र-जनता का शासन, जनता के द्वारा,जनता के लिये?
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७
शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010
सोमवार, 6 दिसंबर 2010
संसद १७ दिन से ठप्प
आज चिंतन का विषय है कि संसद १७ दिन से ठप्प पडी है वो भी एक ऐसे विषय पर जिसके लिए पछ-विपच दोनों ही उत्तर दाई है ! कांग्रेस में पी वी नर्सिंघाराव से लेकर सुरेश कलमादी और सहयोगी दल के ऐ राजा, बी जे पी के येदुरप्पा सभी हमाम में नंगे है पर नेताओं को एक-दूसरे को नगा करने की होड़ लगी है और संसद को अखाड़ा बना रखा है ,जिससे अरबों रुपयों का देश को नुक्सान हो चुका है !सरकारी भ्रष्टाचार पर जांच और कार्यवाई के लिए बनाई गई सबसे बड़ी ऐजेसी सैंट्रल विजिलेंस कमिशन के मुखिया ने तो मानों सभी के मुंह पर ताला लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट तक की टिप्पणियो और निर्देशों के बावजूद कई आरोंपो से घिरे सीवीसी थॉमस ने इस्तीफा तक देने से इंकार करके साबित कर दिया है कि जिसकी लाठी उसी की भैंस। सीवीसी और येदुरप्पा के अलावा देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद के पूरे सत्र मे सत्ता के नशे मे मस्त कांग्रेस ने पूरे विपक्ष और देकी जनता को जो पैगाम दिया है उससे तो यही लगता है कि मूल्यों की हत्या करना अब कोई बड़ी बात नहीं। इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि एक आरोप से बचने के लिए सबसे आसान तरीका है उल्टा दूसरा आरोप शिकायत कर्ता पर ही मढ़ दो। ना जांच ना कार्यवाई बाहरसे बाहर ही समझौता। देश की वर्तमान स्थिति को देख कर यही लगता है कि हर राजनीतिक दलों ने जनता को क़ाबू करने के लिए आपस मे ही समझौता कर लिया है। और ख़बरों के सौदागर मानो वही कुछ दिखाते है जो खुद उनके हित में हो।
शनिवार, 4 दिसंबर 2010
जीवन एक मकान किराये का,
जीवन एक मकान किराये का,
फ़िर यामे रहिबे को सुख कहे का! जीवन एक.....
कौन दिना नोटिस आ जावे,
कोऊ न जाने, फ़िरहूं घूमे इतराये सा! जीवन एक....
या जीवन मे आना है एक मानी,
नही किया कुछ, बेकार फ़िरै बौराये सा !जीवन एक.....
तन मिट्टी का,याही मे मिल जावेगा,
चौथेपन मे जागे से,का मिल पायेगा ! जीवन एक.....
धन-दौलत ,दुमहले, यहीं छुट जावेगा,
मानव-धर्म का भरम तभी टुट जायेगा !जीवन एक.......
या जीवन जब कछु नही कर पावेगा,
दूजी यौनी मे फ़िर,का तोप चलावेगा ! जीवन एक......
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७
फ़िर यामे रहिबे को सुख कहे का! जीवन एक.....
कौन दिना नोटिस आ जावे,
कोऊ न जाने, फ़िरहूं घूमे इतराये सा! जीवन एक....
या जीवन मे आना है एक मानी,
नही किया कुछ, बेकार फ़िरै बौराये सा !जीवन एक.....
तन मिट्टी का,याही मे मिल जावेगा,
चौथेपन मे जागे से,का मिल पायेगा ! जीवन एक.....
धन-दौलत ,दुमहले, यहीं छुट जावेगा,
मानव-धर्म का भरम तभी टुट जायेगा !जीवन एक.......
या जीवन जब कछु नही कर पावेगा,
दूजी यौनी मे फ़िर,का तोप चलावेगा ! जीवन एक......
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७
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