बाढ़ की विभीषिका से सम्पूर्ण उत्तर भारत काल के गाल में ग्रसित है !उधर बिभिन्न बांध धडाधड लाखों क्यूसेक पानी बिना जनहानि,धन-हानि,फसल हानि की चिंता किये हुए तबाही कर रहे हैं ! हमारी सरकार मूक दर्शक की भांति केवल पानी के प्रवाह,जन हानि और फसल हानि के आंकडे हमें गिनवा रही है और हम राम भरोसे अगले
मंज़र का इंतज़ार कर रहे हैं !स्वतन्त्रता के ६६ वर्षों के बाद अपने को अपनी बर्बादी अपनो के हाथों देख दुःख कम और अकर्मण्यता पर घराना और विछोभ अधिक हो रहा है !क्या यह चिंतन का विषय नहीं है कि जब सरकार बड़े -बड़े बांध बनाती है तो साथ ही ऐसी विषम परिस्थितियों के लिए कोई दूरगामी उपाय भी सोच कर कदम उठा लेती,
ताकि इतनी बड़ी जन-हानि और धन-हानि प्रतिवर्ष नहीं होती !लेकिन सरकार राम भरोसे बैठी है कि कोई चमत्कार
स्वत: होगा और इस प्रकार की बरबादी रोकने के लिए जापान ,अमेरिका ,रूस या फिर यूं.एन.ओ. से कोई मदद का प्रोजेक्ट लेकर आयेगा खुद पैसा लगाएगा या दान कर जाएगा ! आखिर हम स्वावलंबी बनाने के बारे में क्यों नहीं सोचते ?क्या सरकार को बांध बनाने साथ ही नदियों की गहराई बढाने का कार्यक्रम नहीं चलना चाहिए ?उलटे सरकार ने नदियों से बालू खनन पर प्रतिबन्ध क्यों लगा रखा है?
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