भोपाल गैस त्रासदी
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज
सिकन्दरा,आगरा २८२००७
२० हज़ार्लोगो की मौत के दोषियो का अन्तिम निर्णय१९ जजो की खण्डपीठ्ने २६ वर्षो के बाद दिया जिसमे ८ दोषियो को सिर्फ़ २ साल की कैद और ५ लाख का ज़ुर्माना घोषित किया ! परन्तु यूनियन कार्बाईड के तत्कालीन चेय्ररमैन वारेन एन्डरसन की रिहाई इस बात को सिद्ध कर रही है कि तत्कालीन मुख्य मंत्री श्री अर्जुन सिघं जी की भूमिका कितनी संदिग्ध है? चिन्तन का विषय यही है कि इतने बडे काण्ड के प्रमुख अपराधी को कैसे ४ दिन मे ज़मानत मिली और कैसे स्वयं ज़िला अधिकारी उनको एयर पोर्ट तक जीप मे बिठा कर छोडने आए और दिल्ली के बजाय स्पेशल प्लेन से वह इन्ग्लैन्ड भाग सका?
जनता दल के अध्यक्छ डा० सुब्रम्ण्यम स्वामी ने आरोप लगाया है कि अर्जुन सिघं की एन् जी ओ को ३ करोड रुपयो का अनुदान यूनीयन कार्बाईड ने किस लिये दिया गया था? अर्जुन सिघं की चुप्पी मौन स्वी्कारोक्ति प्रतीत होती है कि इतने बडे अपराधी को उनका संरछ्ण प्राप्त था, जिसकी वज़ह से वह ज़मानत पर छूट्ने के बाद फ़रार हो गया और वो भी प्रशासनिक मदद से! आखिर अपराधियो को राज्नैतिक संरछण कब तक मिलता रहेगा? कब तक साधारण जनता जनतत्र मे भी राजतत्र की तरह शोषण का शिकार होती रहेगी? आज स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि झारखन्ड के १९ मत्री अपराधी है?
गुरुवार, 10 जून 2010
बुधवार, 2 जून 2010
जनगणना में जाति का उल्लेख क्यों ?
जनगणना मे जाति का उल्लेख क्यों ?
आज जनगणना २०१० पारम्भ हो चुकी है ,परन्तु चर्चा इसकी है कि जाति का उल्लेख औचित्य पूर्ण है अथवा नही ? स्वतन्त्रता के ६३ वर्षो के बाद भी कोई दल जतिगत राजनीति से ऊपर नहीं उठ पाया है
धर्म निरपेछ राष्ट्र की कल्पना कैसे की जा सकती है जब प्रवेश,पोस्टिगं,प्रमोशन सभी मे आरक्छ्ण हावी है!इस आरक्छ्ण के कारण् सवर्णो मे विछोभ,विद्वेश,विद्रोह की भावना पनपने लगी है!अंग्रेज़ो ने"डिवाईड एण्ड रूल " की नीति अपना कर हिन्दू और मुस्लिम को बांट कर शासन किया,कांग्रेस ने सवर्ण और दलितो के बीच खाई बनाकर शासन किया,समाजवादियो ने पिछ्डा वर्ग का बिगुल बज़ाकरसत्ता हथियाई!आज स्थिती यह है कि कोई भी दल आरक्छण समाप्त करने का प्रस्ताव संसद मे नही लानाचाहती है!सरकार की कार्य प्रणाली यह है कि जो भी वर्ग आरक्छण के लिये रोड्जाम,रेल पटरी ऊखाड्ने का काम करती ,उसे आरक्छण के लिये प्रदेश सरकार के पाले मे फ़ेक कर अपना पल्लाझाड लेती है,जिसकी ताजा मिसाल राज्स्थान की गुर्ज़रसम्प्रदाय की माग है!यदिप्रदेश सरकार संस्तुति करेगी तो सवर्णो को एक कदम पीछे धकेल दिया जायेगा अर्थात बचे हुए अनारक्छित से ही और दान दे दिया जायेगा,नतीज़तन पिछ्डो को उठाने के लिये दूसरे वर्ग मे कटौती कर दो समाज वर्ग विहीन हो जायेगा!आज सौ योग्य बेशक घर बैठे रहे लेकिन एक पिछ्डे वर्ग का पद अयोग्य होने पर भी बैक्लौग के द्वारा
भरा जा रहा हैजिसकी वज़ह से विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका सछम नही रही और जनता स्वतःप्रशासनिक अधिकारियो को कभी बन्धक बनाती है कभी घेराव की राजनीति हो रहीहै,बदले मे सरकार र्ब्रिटिशर की तरह रोज़ बरबर्तापूर्ण तरीके अख्तियार करती है जो कि सभ्य समाज़ या विकसित रा्ष्ट्र की छवि नही बना रही है! चिन्तन का विष्य यही है कि सरकार दोहरे मापद्ण्ड पर कार्य क्यो कर रही है? आरकछ्ण समाप्त होने की कोई या तो सीमा निरधारित हो अथवा जाति का उल्लेख जनगणना मे किया जाय एवं तदनुसार उनकी आर्थिक स्थति का आंकलन हो कि वे पिछडे है या नही?एक स्वस्थ,सम्रिधशाली राष्ट्र के निर्माण मे आरक्छण बाधक है तो जाति का उल्लेख अनावश्यक है और आरक्छ्ण समाप्ति की अओर कदम बढाना होगा! हम भारतीय है यही हमारा धर्म या जाति है!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७
आज जनगणना २०१० पारम्भ हो चुकी है ,परन्तु चर्चा इसकी है कि जाति का उल्लेख औचित्य पूर्ण है अथवा नही ? स्वतन्त्रता के ६३ वर्षो के बाद भी कोई दल जतिगत राजनीति से ऊपर नहीं उठ पाया है
धर्म निरपेछ राष्ट्र की कल्पना कैसे की जा सकती है जब प्रवेश,पोस्टिगं,प्रमोशन सभी मे आरक्छ्ण हावी है!इस आरक्छ्ण के कारण् सवर्णो मे विछोभ,विद्वेश,विद्रोह की भावना पनपने लगी है!अंग्रेज़ो ने"डिवाईड एण्ड रूल " की नीति अपना कर हिन्दू और मुस्लिम को बांट कर शासन किया,कांग्रेस ने सवर्ण और दलितो के बीच खाई बनाकर शासन किया,समाजवादियो ने पिछ्डा वर्ग का बिगुल बज़ाकरसत्ता हथियाई!आज स्थिती यह है कि कोई भी दल आरक्छण समाप्त करने का प्रस्ताव संसद मे नही लानाचाहती है!सरकार की कार्य प्रणाली यह है कि जो भी वर्ग आरक्छण के लिये रोड्जाम,रेल पटरी ऊखाड्ने का काम करती ,उसे आरक्छण के लिये प्रदेश सरकार के पाले मे फ़ेक कर अपना पल्लाझाड लेती है,जिसकी ताजा मिसाल राज्स्थान की गुर्ज़रसम्प्रदाय की माग है!यदिप्रदेश सरकार संस्तुति करेगी तो सवर्णो को एक कदम पीछे धकेल दिया जायेगा अर्थात बचे हुए अनारक्छित से ही और दान दे दिया जायेगा,नतीज़तन पिछ्डो को उठाने के लिये दूसरे वर्ग मे कटौती कर दो समाज वर्ग विहीन हो जायेगा!आज सौ योग्य बेशक घर बैठे रहे लेकिन एक पिछ्डे वर्ग का पद अयोग्य होने पर भी बैक्लौग के द्वारा
भरा जा रहा हैजिसकी वज़ह से विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका सछम नही रही और जनता स्वतःप्रशासनिक अधिकारियो को कभी बन्धक बनाती है कभी घेराव की राजनीति हो रहीहै,बदले मे सरकार र्ब्रिटिशर की तरह रोज़ बरबर्तापूर्ण तरीके अख्तियार करती है जो कि सभ्य समाज़ या विकसित रा्ष्ट्र की छवि नही बना रही है! चिन्तन का विष्य यही है कि सरकार दोहरे मापद्ण्ड पर कार्य क्यो कर रही है? आरकछ्ण समाप्त होने की कोई या तो सीमा निरधारित हो अथवा जाति का उल्लेख जनगणना मे किया जाय एवं तदनुसार उनकी आर्थिक स्थति का आंकलन हो कि वे पिछडे है या नही?एक स्वस्थ,सम्रिधशाली राष्ट्र के निर्माण मे आरक्छण बाधक है तो जाति का उल्लेख अनावश्यक है और आरक्छ्ण समाप्ति की अओर कदम बढाना होगा! हम भारतीय है यही हमारा धर्म या जाति है!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७
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