गुरुवार, 15 नवंबर 2012

काँग्रेस तुम्हारी पुश्तैनी समपत्ति


आज शाम २०१४ के लोक सभा चुनाव हेतु काँग्रेस पार्टी ने समन्वय समिति के घोषणा की ,जिसका अधय्छ राहुल गाँधी को नामित किया गया ! ३ उप समिति भी गठित की गई ,जिनमे चुनाव प्रचार समिति का अधय्छ माननीय दिगविजय सिह को बनाया गया ! माता जी की पार्टी है बेटा तो कुछ भी बन सकता है आखिर वो नेहरू-गाँधी परिवार का वंशज़ है, जिसे केवल भारत वर्ष का प्रधान मंत्री देने की छमता प्राप्त है ! यह् मेरे अलावा सभी काँग्रेसीयो की सोच है,अर्थात राजा का बेटा ही राजा हो सकता है ! संविधान निर्माताओं मे बेशक काँग्रेस का ही बाहुल्य था और उन्होने इस देश को राजतंत्र के स्थान पर प्रजातंत्र देने का मन्तव्य भी स्पष्ट रूप से अंकित भी किया, पर व्याव्हारिक रूप से काँग्रेस पार्टी राज्तंत्र के भँवर-जाल मे ही फ़ँसी हुई है! सभी भारतीय नागरिक प्रबुद्ध् वर्ग का (चाहे काँग्रेसी हो या अन्य किसी दल का) राजतंत्र को धिक्कारता है और प्रजातंत्र को स्वीकारता है,कारण है कि राजतंत्र कभी सर्वजन हिताय की सोच ही पैदा नही कर सकता,जब कि " प्रजातंत्र जनता का शासन,जनता के द्वारा,जनता के लिये "होता है ! हाँ यह बात दीगर है काँग्रेस पार्टी का इतिहास है कि  जब-जब उसमे किसी ने प्रजातंत्र का झन्डा उठाया, इसका तभी विभाजन हुआ ! अन्तोगत्वा अब केवल दिग्विजय सिह (दिग्गी राजा),ज्योतिरादित्य सिन्धिया,अर्जुन सिंह जैसे राजघरानों ने एक परिवार को राजतंत्र दिलवाकर अपने अपने राज्यं मे राज्तंत्र कायम रख्नने की साजिश की है और विगत ७०-७५ वर्षो से भारत के जनसाधारण की उपेछा कर सारे कानून -नियम राज घरानो के हित् मे या व्यापारिक घरानो-टाटा,बिरला,अम्बानी के आदेशानुसार उनके हित मे(जो पार्टीयों को करोडो-अरबों रुपया दान मे देते है) बनाये है! गरीब किसान जो स्वतंत्रता के समय अपनी ८५ % की भागीदारी रखता था आज या तो खुद कुशी कर रहा है या अपनी ज़मीन-ज़ायदाद पूँजी पतियॊं को बेचकर शहरो मे जीवन यापन के साधन  ढूँढ रहा है! दूसरी तरफ़ सत्ताधारी दल और सामन्त वादी लोगों की समपत्ति ५००० गुना से भी अधिक  हो चुकी है ! आज मुकेश अम्बानी,अनिल अम्बानी दुनिया के १०० पूँजीपतियों की लिस्ट मे आते है और  किसान आमरण अनशन के लिये एक-एक महीने घर द्वार छोड,तीज़-त्योहार छोड ,मेरठ ,मुज़फ़्फ़र् नगर मे सरकार के खिलाफ़ मोर्चा लगाये बैठे होते है ! चलिये इस प्रजातंत्र को और काँग्रेस की सामन्तवादी सरकार को प्रणाम करते है और चिन्तन को आगे बढाकर इस पर दष्टिपात करते है कि माताजी ने इस दायित्व के लिये अपने इस सुयोग्य बेटे और चाटुकार सिपह्सालार दिग्विजय सिंह को ही योग्य क्यों समझा ?जबकि एडी से चोटी तक के प्रयास लगाकर  उत्तर प्रदेश के चुनाव मे भारी हार दिलवाई थी ! सम्भवतः आदरणीय माता जी या तो ध्रतराष्ट्र जो अन्धा तो था ही पुत्र प्रेम मे जनहित और सदचार भी भूल गया था ,बन गई है अथवा गान्धारी की तरह आँख पर पट्टी बाँध चुकी है कि अब काँग्रेस की नय्या उबारो या डुबाओ यह तुम्हारी पुश्तैनी समपत्ति है !
बोधिसत्व कस्तूरिया ऎड्वोकेट २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

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