मंगलवार, 27 नवंबर 2012

"जै हो प्रजातंत्र जै हो भारत गणतंत्र !"


भारतीय गणतंत्र गैस सिलैन्डर की विभीषिका से उबर भी नही पाया था कि ममता दीदी ने एलान कर दिया कि कम से कम २४ सिलैन्डर एक वर्ष मे प्राप्त होंगे तभी संसद चलेगी वरना त्रणमूल काँग्रेस के पदाधिकारी संसद पर धरना देते रहेंगे ! उअन्का कहना भी काफ़ी हद तक सही है क्यंकि हम तो चूल्हे की रोटी जो कन्डे/उपले और लकडी पर बनती थी उसकी सोंधी खुशबू उसे अभी हम भुला भी नही पाये थे कि सरकार ने जो लकडी कटान को रोकने के लिये गैस का विकल्प दिया था ! अब उसकी भी राशनिंग कर वर्ष मे ६ सिलैन्डर पर सीमित कर दिया ,यानी माह मे केवल ७ किलो गैस ही उपलब्ध होगी और प्रतिदिन ०.२३ ग्राम !यह बात ओबामा को तो पता है कि "भारतीय भोजन बहुत करते है जिससे विश्व मे खाद्य संकट गम्भीर स्थिति पर पहँच गया है!" परन्तु माननीय सोनिया जी और मन मौन जी को नही पता कि इतना भोजन पकाने के लिये गैस भी कितनी खच होगी?आम आदमी रोटी ,दाल, चावल,सब्ज़ी खाता है ,जिसे पकाने के लिये कम सेकम १/२ किलोग्राम गैस तो चाहिये ही और फ़िर हमारे समाज की संरचना संयुक्त परिवार की है, जहाँ कम से कम ५-७ प्राणी तो माँ-बाप,बेटा -बहू ,बेटी एकाध नाती भी होता ही है ,फ़िर तो तकरीबन १ किलो गैस एक दिन लगेगी ! मैडम तो केवल दो प्राणी माँ और एक बेटा है,बहू,नाती वगैरह  कुछ है नही तो गैस कैसे खर्च हो जाती है वो क्या जाने?विदेशों मे और मैट्रो सिटी मे तो "हम दो हमारे दो "से ज़्यादा होते ही नही गैस कम करने की अव्धारणा वहाँ तो फ़िट बैठती है,पर गरीब के घर मे तो एक नया कलेश शुरू हो गया है माँ-बाऊजी कह रहे हैं कि "हमारे ज़िन्दा रहते घर-आँगन मे दो चूल्हे नही जलेंगे ,उधर सरकार कह रही है कि गैस कम्पनी सत्यापन करे एक घर मे एक ही सिलैन्डर रहे ,नतीजतन अब तक तकरीबन ६ करोड कनैक्शन रद्द कर दिये गये हैं!अर्थात "इधर कुआँ उधर खाई,मारा गया गरीब भाई!" दूसरी तरफ़ एक समस्या किराये दारो के लिये हो गई कि किराया -रसीद मकान मलिक नही दे रहा है,कहता है कि साले क्या सर्विस-टैक्स लगवायेगा? गैस कम्पनी वाले निवास का प्रमाण-पत्र माँग रहे है,फ़िर इधर भी वही दशा "एक तरफ़ कुआँ दूजी तरफ़ खाई,मारा गया गरीब भाई!"लगता है सरकार एक तीर से कई निशाने साध रही है न०१ गैस की सब्सिडी बचेगी,न०२ संयुक्त परिवार समाप्त होंगे तो एच०यू०एफ़० का रेबेट भे कम लोगों को देना पडेगा, न०३ कोई मकान मालिक किरायेदार रखता है तो सर्विस टैक्स मिलेगा! यानी कि सरकार की चाँदी ही चाँदी, जनता तो है ही साली हमरी बाँदी ,जैसे चाहो वैसे नचाओ ! "जै हो प्रजातंत्र जै हो भारत गणतंत्र !"
बोधिसत्व कस्तूरिया ऎड्वोकेट २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

गुरुवार, 15 नवंबर 2012

काँग्रेस तुम्हारी पुश्तैनी समपत्ति


आज शाम २०१४ के लोक सभा चुनाव हेतु काँग्रेस पार्टी ने समन्वय समिति के घोषणा की ,जिसका अधय्छ राहुल गाँधी को नामित किया गया ! ३ उप समिति भी गठित की गई ,जिनमे चुनाव प्रचार समिति का अधय्छ माननीय दिगविजय सिह को बनाया गया ! माता जी की पार्टी है बेटा तो कुछ भी बन सकता है आखिर वो नेहरू-गाँधी परिवार का वंशज़ है, जिसे केवल भारत वर्ष का प्रधान मंत्री देने की छमता प्राप्त है ! यह् मेरे अलावा सभी काँग्रेसीयो की सोच है,अर्थात राजा का बेटा ही राजा हो सकता है ! संविधान निर्माताओं मे बेशक काँग्रेस का ही बाहुल्य था और उन्होने इस देश को राजतंत्र के स्थान पर प्रजातंत्र देने का मन्तव्य भी स्पष्ट रूप से अंकित भी किया, पर व्याव्हारिक रूप से काँग्रेस पार्टी राज्तंत्र के भँवर-जाल मे ही फ़ँसी हुई है! सभी भारतीय नागरिक प्रबुद्ध् वर्ग का (चाहे काँग्रेसी हो या अन्य किसी दल का) राजतंत्र को धिक्कारता है और प्रजातंत्र को स्वीकारता है,कारण है कि राजतंत्र कभी सर्वजन हिताय की सोच ही पैदा नही कर सकता,जब कि " प्रजातंत्र जनता का शासन,जनता के द्वारा,जनता के लिये "होता है ! हाँ यह बात दीगर है काँग्रेस पार्टी का इतिहास है कि  जब-जब उसमे किसी ने प्रजातंत्र का झन्डा उठाया, इसका तभी विभाजन हुआ ! अन्तोगत्वा अब केवल दिग्विजय सिह (दिग्गी राजा),ज्योतिरादित्य सिन्धिया,अर्जुन सिंह जैसे राजघरानों ने एक परिवार को राजतंत्र दिलवाकर अपने अपने राज्यं मे राज्तंत्र कायम रख्नने की साजिश की है और विगत ७०-७५ वर्षो से भारत के जनसाधारण की उपेछा कर सारे कानून -नियम राज घरानो के हित् मे या व्यापारिक घरानो-टाटा,बिरला,अम्बानी के आदेशानुसार उनके हित मे(जो पार्टीयों को करोडो-अरबों रुपया दान मे देते है) बनाये है! गरीब किसान जो स्वतंत्रता के समय अपनी ८५ % की भागीदारी रखता था आज या तो खुद कुशी कर रहा है या अपनी ज़मीन-ज़ायदाद पूँजी पतियॊं को बेचकर शहरो मे जीवन यापन के साधन  ढूँढ रहा है! दूसरी तरफ़ सत्ताधारी दल और सामन्त वादी लोगों की समपत्ति ५००० गुना से भी अधिक  हो चुकी है ! आज मुकेश अम्बानी,अनिल अम्बानी दुनिया के १०० पूँजीपतियों की लिस्ट मे आते है और  किसान आमरण अनशन के लिये एक-एक महीने घर द्वार छोड,तीज़-त्योहार छोड ,मेरठ ,मुज़फ़्फ़र् नगर मे सरकार के खिलाफ़ मोर्चा लगाये बैठे होते है ! चलिये इस प्रजातंत्र को और काँग्रेस की सामन्तवादी सरकार को प्रणाम करते है और चिन्तन को आगे बढाकर इस पर दष्टिपात करते है कि माताजी ने इस दायित्व के लिये अपने इस सुयोग्य बेटे और चाटुकार सिपह्सालार दिग्विजय सिंह को ही योग्य क्यों समझा ?जबकि एडी से चोटी तक के प्रयास लगाकर  उत्तर प्रदेश के चुनाव मे भारी हार दिलवाई थी ! सम्भवतः आदरणीय माता जी या तो ध्रतराष्ट्र जो अन्धा तो था ही पुत्र प्रेम मे जनहित और सदचार भी भूल गया था ,बन गई है अथवा गान्धारी की तरह आँख पर पट्टी बाँध चुकी है कि अब काँग्रेस की नय्या उबारो या डुबाओ यह तुम्हारी पुश्तैनी समपत्ति है !
बोधिसत्व कस्तूरिया ऎड्वोकेट २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७