सोमवार, 23 मई 2011


गुरुवार, 19 मई 2011

"परिवार ही नागरिकता की प्रथम पाठशाला


आगरा जनपद के प्रतिष्ठित विद्यालय  के एक छात्र से उसी विद्यालय के सीनियर छात्र कुशाग्र ने डरा -धमका कर एक वर्ष मे लाखों रुपये की वसूली की ! आज भी पुलिस ने उजागर किया कि १४ फ़रवरी माह मे श्रीमती निरुपमा का पर्स जो फ़ूल सैयद चौराहे पर छीन ल;लिया गया था ,वो वो १६-१७ वर्ष के दो लडकों संदीप यादव और कमल कान्त शर्मा इन्द्रापुरम ने छीना था !
चिन्तन का विषय यह है कि पढने -लिखने की उम्र मे इस तरह की वारदात के पीछे अच्छे घरों के लडके ,मौज़-मस्ती अपने खर्चे पूरे करने के लिये करते है ,किसी गरीब या ज़रूरत मन्द-व्यक्ति द्वारा नही ! आखिर इस के मूल मे क्या सामाज़िक कारण है?आज विद्यालय विद्याअधय्यन
का स्थल न हो कर शान -शौकत के प्रदर्शन का केन्द्र बन चुके है ,जहाँ सभी वर्गों के बच्चे पढते है जिनकी आय साथ पढने वालों के बराबर न  होते हुये भी उनसे प्रतिस्पर्धा रहती है कि मैं भी इनकी तरह घूमूं -फ़िरू मौज़-मस्ते करूं !शापिंग माल मे कोल्ड द्रिन्क,पीज़ा-बर्गर का सेवन करू मौका लगे तो माल मे पिक्चर देखूं जहाँ टिकट १२५-१५० रु० से कम नही है ! आखिर मध्यम वर्ग  या निर्धन वर्ग का छात्र उसी दौड मे शामिल हो गलत तरीके अपनाता है! परिणामतः क्राईम-ग्राफ़ बढता जा रहा है ,प्रश्न यह है कि इसके लिये उत्तर दायी कौन है?
लापरवाह माता -पिता जो बच्चों की अतिविधियों पर ध्यान ही नही देते या अधिक जेब-खर्च देने वाले धनाड्य परिवार के माता-पिता,या फ़िर धनाड्यॊ की चाप्लूसी करने वाले वो लडके जो उनकी बराबरी करते है और खर्चे बढ्ने पर अपराध की ओर अग्रसर हो जाते हैं !इस प्रव्रत्ति को रोकने मे अभिवावको की पहल बहुत ज़रूरी है ! उन्हे अपनी यह मान्सिकता बदलनी होगी कि मँहगे स्कूल मे अपने पाल्यॊ को प्रवेश दिलाकर उनका उत्तरदायित्व समाप्त हो जाता है !उस समय उन्का यह कर्तब्य है कि बच्चों को सम्झाये कि उनकी हैसियत,आमदनी कितनी है और व उसका कितना भाग किस मद मे खर्च करने की छमता रखते है अतः बच्चे उसमे उन्का सहयोग करें ! अपने उत्त्तर दायित्व के निर्वहन के लिये उनसे मित्रवत व्य्वहार कर उनके मित्रों का परिचय एवं हैसियत का अद्ध्य्यन भी करें !साथ ही इस पर पैनी नज़र रखे कि बच्चे के खर्चे सामान्य है, या माँ-दादी वगैरह  से चोरी- छुपके
कुछ अधिक तो नही ले रहा है, जो आप देने मे असमर्थ हैं !वरना ऐसा न हो " अब पछ्ताए कया होत है जब चिडियाँ चुग गई खेत!"यह ध्यान रहे कि बच्चे आप्की तरह आकाँछाओं पर अँकुश नही लगा पाते हैं इस कार्य मे उनकी सहायता करना ही आपका असली कर्तव्य है क्यॊकि "परिवार ही नागरिकता की प्रथम पाठशाला है!"
बोधिसत्व कस्तूरिया एड्वोकेट
२०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा
९४१२४४०९३

गुरुवार, 12 मई 2011

"मुझे हिन्दुस्तानी होने पर शर्म आती है


"मुझे हिन्दुस्तानी होने पर शर्म आती है" कह्कर राहुल गाँधी ने शायद गरीब ,अनपढ जनता का दिल जीत लिया हो या शायद काँग्रेस के लिये कुछ वोट जुट लिये हो,पर शायद प्रबुद्ध जनता इन शब्दों को अनेकों मंन्च से अनेकों नेताओं के मुख से सुन चुकी है,अतः हास्यासापद प्रतीत हुआ ! नौएडा का भट्टापार्सौल हो या  गढी रामी आगरा  की घटना पर पूरा देश इस चिन्तन मे डूबने के लिये बाध्य है कि भारत के संविधान निर्माताओं का भारत को गणतन्त्र घोषित करना मात्र  एक औपचारिकता थी या ढकोसला ? स्वतंत्र भारतीय प्रजातंत्र मे जलियाँवाला बाग की पुनराव्रत्ति इस बात की द्योतक है कि तब भी शासक वर्ग अपना कोडा बरसा कर प्रशासन चलाता था और आज भी ! कुछ भी नही बदला है पिछले १०० वर्षों मे ,केवल सत्ता बदली है! भारतीय संविधान मे सम्पत्ति का मौलिक अधिकार प्रदत्त अवश्य है,पर केवल पुस्तको तक , ताकि विश्व मे हम सभ्य- समाज़ की श्रेणी मे शामिल हो जाँय ! स्वतंत्रता के ६४ वर्षो मे भी देश का नागरिक अपनी पुशतैनी ज़मीन, जिसको वो अपनी माँ मानता है, क्योंकि वह उसे धन-धान्य दोनो ही प्रदान करती है ,उस पर भी उसका नही बल्कि सरकार का अधिकार होता है ! सरकार अपनी सहूलियत के हिसाब से उस अधिकार का प्रयोग कर किसी भी काश्तकारी ज़मीन पर से एक्स्प्रेस वे की लाइन खींच देगी ! ५००-८००रु प्रति वर्ग गज़ का मुआवज़ा देकर ज़मीन हथिया ली जाती है फ़िर २००० से २५०० रु प्रति वर्ग गज़ के सौदे बिल्डर्स के साथ कर लेगी,जो उसे थोडा डवलप कर १२००० से १५००० रु प्रति वर्ग गज़ से बेच देगा ,अर्थात फ़ायदा पूंजीपतियों का ही ताकि बेशक हज़ार दस हज़ार किसान बेघर- बार हो जाए लेकिन किसी एक भी  पूंज़ीपति का नुकसान न हो, क्योंकि वो ही तो इन राजनैतिक- पार्टियों के दान -दाता हैं ! प्रबुद्ध वर्ग के लिये चिन्तन के प्रमुख मुद्दे है :-

१. क्या समपत्ति का अधिकार निरर्थक है?
२.सरकार को क्या अधिकार है कि वह क्रषि योग्य भूमि को गैर क्रषि कार्य के लिये प्रयोग करे?
३.क्या ब्रिटिश सरकार के पुलिस तंत्र और आज के पुलिस तंत्र मे रत्ती भर भी फ़र्क है?
४ क्या क्रषि मंत्रालय बता सकता है कि क्रषि प्रधान देश की पिछले ६५ वर्षो मे कितनी हैक्टेयर भूमि का दुरुपयोग हुआ है?
५.सरकार इन्फ़्रास्ट्रक्चर के नाम पर कितने घर और गाँव बर्बाद करेगी जिसे कई पुशतॆ बनाने मे लगी है?

बोधिसत्व कस्तूरिया एड्वोकेट २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७