सोमवार, 30 सितंबर 2013

खाद्द्य सुरछा अधिनियम

काँगेस सरकार ने खाद्द्य सुरछा अधिनियम पारित करवा लिया,परन्तु इस्के अनुपालन मे उसकी राजनैतिक इच्छा शक्ति का सर्वथा अभाव अवश्य आडे आयेगा! विगत १० वर्षों मे खाना-पीना ढाई गुनातक मँहगा हो गया है ,परन्तु सरकार खाद्दान्न वितरण प्रणाली के लिये कोई ठोस कदम नही उठा पाई ! आज भी हर वर्ष लाखों टन अनाज गोदामो के अभाव मे सड जाता है क्य़ोंकि एफ़०सी०आई० के पास भण्डारण हेतु पर्याप्त व्यवस्था है ही नही ! स्थितियाँ इतनी विषम हो गई कि सुप्रीम कोर्ट को आदेशित करना पडा कि सरकार खाने लायक अनाज को गरीबों मे निःशुल्क बाँट दे ,परन्तु सरकार ने अन्सुनी कर उसे सस्ते दामो पर शराब के कारखाने दारों को बेच दिया! दूसरी तरफ़ राशन के दूकान दारो की मनमानी यह देखिये जब चाहे दूकान खोलें ,जिसे चाहें दें और जब चाहें बन्दी कर दें ताकि सारा का सारा आटा मिल-मालिकों को ऊँचे भाव पर बेच सकें!इसके साथ ही मुनाफ़ा खोर काला-बाज़ारियों को भी खुली छूट है ,कि जितना चाहें उतना गोदामो मे भर लें और मँहगा कर के बेचें,पर कोई छापा नही पडता ! आज भी देश मे लाखों टन खाधान्न सटोरियों ने दबा रखा है और अब तो नौबत प्याज़ तक गोदामो मे भरा पडा है और सरकार हाथ बाँधे मूक दर्शक की तरह टुकुर-टुकुर उसे मँहगा होते देख रही है !महाराष्ट्र बिहार ,उडीसा मे किसान कर्ज़ के दबाब मे खुद्कुशी कर रहा है,और दूसरी तरफ़ आढतिये, बिचौलिये और सटोरिये माल दब कर कल्पित मँहगाई बनाते जा रहे है ! मज़बूरन किसान का बेटा खेतो को बेच शहर की ओर नौकरी के लिये भाग रहा है, जिससे बडे शहरों मे ज़मीन के भाव अनाप-शनाप बढ रहे है मानव दवाब बढ रहा है जिससे अपराधों की संख्या मे इज़ाफ़ा हो रहा है! शहरी करण मे कॄषि-योग्य उपजाऊ भूमि सिक्स लेन ,एट लेन २०-२५ मंज़िले मकान/ फ़्लैटों मे नष्ट हो रही है ! आखिर सवा अरब से अधिक आबादी के लिये जब कॄषि योग्य भूमि ही उपलब्ध नही होगी तो खाध सुरछा की गारन्टी योजना धरी की धरी रह जायेगी!
बोधिसत्व कस्तूरिया 
२०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा