चीन ने साम्राज्यवादी विचार धारा के अन्तर्गत १९६२ मे भारत पर हमला किया था , हज़ारो सैनिकों का बलिदान सैकडों हैक्टेयर भूमि आज भी उनके कब्ज़े मे है परन्तु हम आज भी "हिन्दी-चीनी भाई-भाई" के प्रेम ज़ाल मे फ़ँसे हुये है और उन्की हर हिमाकत को नज़र अन्दाज़ करते चले आ रहे है! अआज से १० वर्ष पूर्व चीन ,भारत पर आर्थिक आक्रमण कर चुका है जिसकी परिणति है कि हमारी अर्थ -व्यवस्था धीरे-धीरे पंगु होती चली जा रही है,कुटीर उद्द्योग से लेकर मध्यम वर्गीय उद्द्योगों - इलैक्ट्रीकल उपकरण से लेकर खिलौना उद्द्योग तक समाप्त प्राय हो चुका है ! भारत के आयात चीन से रुकने का नाम नही ले रहे है और निर्यात मे ३०% की गिरावट आ चुकी है नतीज़ा सस्ते और कम टिकाऊ सामान से बाज़ार अटा पडा है और भारतीय उद्द्योग मे उत्पादन मे १०% की गिरावट दर्ज़ हो चुकी है !
दूसरी तर्फ़ चीन की सामरिक शक्ति बढते जा रही है ,उसके हौसले इतने बढ गये है कि उसने न केवल कश्मीर (पाक अधीन्स्थ) मे सैन्य दल तैनात कर दिये है सड्कों का निर्माण कर लिया है !एक तरफ़ वह भारत की सीमा मे १९ कि०मी० भीतर घुस आया और भारतीय प्रधान मंत्री मन मौन सिंह उसे स्थानीय मामला बता कर टाल रहे है बल्कि चीनी प्रधान मंत्री का भारत की सर ज़मी पर इस्तक्बाल भी कर रहे हैं, नतीजतन उन्होने भारतीय एल०ओ०सी०पार कर अपनी चौकियाँ भी स्थापित कर ली है!
इसके अतिरिक्त भारत की जडे अन्दर से भी खोख्ली करने के लिये और नक्सल्वाद की जडे जमाने के लिये कोल्कता से लेकर आन्ध्र प्रदेश तक ट्रेनिग , असलाह व धन भी चीन ही मुहय्या करा रहा है , जिसकी परिणति मे अभी झारख्न्ड की घटना है कि इतना भंयकर गुर्रिल्ला आक्र्मण कि पुलिस और प्रशासन के साथ ही कांगेस के नेता गण भी मारे गये !फ़िर भी माननीय प्रधान मंत्री जी, श्री जवाहर लाल नेहरू भू०पू०प्रधान मंत्री के पंच्शील के सिद्धान्त पर अमल कर उसी तरह के कार्य कलापों की पुनरावॄत्ति कर रहे है! चीन के ड्रैगन ने भारत को आर्थिक, सामरिक और आतंक वाद सभी दॄष्टि से डसा है !चीन की नियत मे खोट यह है कि तिब्बत पर उसने कब्ज़ा कर अपने मानचित्रों मे उसे अपना अभिन्न अंग चित्रित कर दिया है, भारत की विवादित भू्मि पर भी अपना आधिपत्य दिखाया है ! एक तरफ़ वह हाथ तो मिलाना चाहता है ताकि मध्य एशिया मे उस्का बाज़ार वाद हावी रहे ,दूसरी तरफ़ भारत इस छेत्र मे किसी तरह की शक्ति बन कर ना उभर पाये!
चिन्तन का विषय यही है कि भारत कब तक आँखे मूंद कर इस आर्थिक और सामरिक आक्रमण को बर्दाश्त करता रहेगा?
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७
मंगलवार, 18 जून 2013
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