शुक्रवार, 28 सितंबर 2012

सीएज़ी की रिपोर्ट


२००८ से लेकर आज तक एफ़ सी आई के गोदामों मे ३६ हज़ार टन गेंहू सड गया,चूहे खागये, बारिश या बाढ की भेंट चढ गया! यदि प्रति व्यक्ति ४४० ग्राम की खपत ही मान ली जाय तो,लगभग ८ करोड भारतीयों का पेट भर सकता था! इस कुप्रबन्धन के लिये कौन ज़िम्मेदार है और किनको सरकार ने उत्तर्दायी पाया और उनके विरुद्ध कौन सी द्ण्डात्मक कार्यवाही की गई?यदि नही की गई तो कया इसमे भ्र्ष्टाचार की बू नही आती कि वाकई सडा या इधर उधर कर दिया गया और अधिकरियों ने अपना घर भर लिया और गरीब के लिये दे दिये चन्द नये टैक्स का बोझ ! आज सभी राजनैतिक दल सीएज़ी की रिपोर्ट के आधार पर कोल्गेट की संभावित भ्र्ष्टाचार का पुर्वाकलन कर संसद को रोक सकते है लेकिन उपरो्क्त बरबादी के लिये सरकार प्र लगाम लगाने के लिये ,द्ण्डात्मक कानून लाने के लिये दवाब नही बनाते है ,आखिर क्यों जनता के पैसे का दुरुप्योग हो रहा है , खाद्य विभाग मे खाने की वस्तु बरबाद हो रही है और यहाँ महगाई की सुरसा भ्र्ष्टाचार के गल्बहियाँ डाल गरीबों का ज़ीना हराम किये हुये है ! हाँ सरकारी अधिकारियों को उनके इस पुनीत कार्य के लिये ७% का मँहगाई भत्ता अवश्य प्रदान कर दिया, लेकिन गरीब वर्ग जो इस राशन के दाने पर ही चूल्हा फ़ूंकता है उसके हिस्से मे तो चूल्हे का सिलिन्डर भी त्याज्य वस्तु हो गया है !हम डा० एपीजे अब्दुल कलाम साहब की २०२० के स्व्प्न को मँहगाई के तराज़ू के भारी पलडे के झुकाब से तौलेंगे जब १०० रुपये दूध,५० रुप्ये गेहूं,दाले ३०० रुपये प्रति किलो, चावल २५० रुपये किलो हो जायेगा ! गरीब खुद ब खुद भूख और ज़िल्लत से मर जायेगा , सन्सैक्स ज़रूर ४०००० और निफ़्टी ३०००० पर होगा ,जिसके आधार पर माननीय वित्त मंत्री और अर्थ -शास्त्री प्रधान-मंत्री भारत को विश्व पटल पर इण्डिया बन कर उभरते हुये देखना चाहते है ! यह समस्या कि किसी भी बरबादी या समय बद्ध सीमा मे ना हो पाने पर कोई उत्तदायी नही है बेशक बज़ट और प्रोजैक्ट २५%से ५०%अधिक हो जाये! केवल खाद्द्य बिभाग ही नही पीड्ब्लूडी, सेतु निगम, रेल, वाणिज्य,परिवहन सभी विभागो मे कठोर द्ण्डात्मक कानून बना दिये जाये तो ना बार बार अन्तर राष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज़ लेने की आवश्यकता पडेगी और नाही विदेशी निवेश से उस कर्ज़ को चुकाने की !
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

गुरुवार, 6 सितंबर 2012

संविधान की धारा १६ मे ११७ वाँ संशोधन बिल


संविधान की धारा १६ मे ११७ वाँ संशोधन बिल राज्य सभा मे पेश किया गया ,जिसका उद्देश्य सरकारी नौकरियों मे प्रमोशन मे भी आरक्छण का रास्ता साफ़ करना है! पेश होते ही सपा सासंद माननीय नरेश अग्रवाल और बसपा सासंद अवतार सिह के बीच विरोध और समर्थन मे हाथापाई हुई ! अभी तो यह हाथापाई माननीयों के बीच हुई,परन्तु वह दिन दूर नहीं जब यह सभी सरकारी महक्मों मे भी आम हो जायेगी ! कल्पना कीजिये कि एक कर्मचारी १५-२० वर्ष के इन्तज़ार कर प्रमोशन के लिये अधिक्रत हुआ तब तक पीछे से एक जूनियर आरक्छण के आधार पर उस पद को हथिया लेता है ! इस मानसिक उत्पीडन और आर्थिक सदमे की परिणति से उत्पन्न होगा आक्रोश ,अपमान और नफ़रत (दलित वर्ग के प्रति), जिसके लिये उत्तरदायी होगा आज का जन मानस और शासक वर्ग ! अभी सवर्ण और दलितों के बीच नफ़रत का बीज संविधान -निर्माताओं ने बोया था,जिसे प्रमोशन मे आरक्छण की खाद देकर फ़ल्ने -फ़ूलने का कार्य कर रही है कांगेस सरकार वो भी २०१४ के चुनाव के लिये ओछे हथकण्डे अपनाकर( वोट बैंक की राजनीत कर) इसका परिणाम होगा सामाजिक विग्रह एवं वित्र्ष्णा ! साथ ही तॆयार हो्गा अकुशल और अयोग्य लोगो का अधिकारी तंत्र, सुयोग्य तक्नीशियनो और कार्मिको का विदेशों को पलायन ,जहाँ नही होती है जातिगत आधार पर आरक्षण की भरमार प्रवेश से लेकर प्रमोशन तक ! कया इसे लागू करके विदेशो मे भारत की कार्य कुशलता को हेय द्र्ष्टी से नही देखा जायेगा ? आज भी विदेशी निवेशको को यहाँ की लाल फ़ीताशाही और भ्र्ष्टाचार के कारण निवेश मे संकोच होता है और तब निश्चित रूप से यहाँ से उन्हे अपना बोरिया बिस्तर समेटना पडेगा !
विगत ६५ वर्षो का इतिहास साछी है कांग्रेस के शासन काल(जो सर्वाधिक समय रहा) मे दलितों को कोई मूलभूत सुविधा जैसे रोटी,कपडा, मकान, शिक्षा,स्वास्थ तक प्राप्त नही हो सकी है ! आज भी उन्हे शौच के लिये खेत मे अद्ध्य्यन के लिये जीर्ण-शीर्ण भवन ,जहाँ अध्यापक् नही होते है,अस्पताल जहाँ डाक्टर नही होते हैं, डाक्टर होते भी होते हैं तो दवायें नही होती हैं राशन की दूकाने है तो राशन नही है ! आखिर आरक्षण की बैसाखी देकर दलितो को इतना असहाय कर दिया कि वे बिना इसके न तो विद्द्यालयों मे प्रवेश पा सके ना नौकरी ! धन्य है काँग्रेस की खोखली विचार-धारा जिसने अपने ही समाज के एक अंग को काटकर सदैव के लिये अपाहिज़ बना दिया और वो भी अन्तररा्ष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख को ताक पर रख कर!
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा २८२००७