५ राज्यों के चुनाव हो रहे है ,चुनाव आयोग ने आचार संहिता का कडाई से पालन कराने का संकल्प लिया है ! उ०प्र०मे ही ३५ करोड से अधिक वाहन सहित पकडी जा चुकी है! झण्डे ,बैनर,पोस्टर,लाउड्स्पीकर,जुलूस पर प्रतिबन्ध है,जिससे चुनाव का कोई माहौल लग ही नही रहा है! हाँ हाथी और मायावती की मूर्तियों पर पर्दा डाल दिया गया क्योकि इससे आचार संहिता का उल्लंघन हो रहा था ,परन्तु राजनैतिक दल ऊल -ज़लूल वायदों से मतदाताओ को पथभ्रष्ट कर रहे है ! इधर काँग्रेस के खुर्शीद आलम जी मुस्लिम मतदाताओ को ९ % आरछणका लौलीपाप दिखा रहे है उधर सपा के प्रदेशीय अधय्छ श्री अखिलेश यादव जी इण्टर पास होने पर लैप टाप बाँटने का प्रलोभन देकर युवाओं को लुभा रहे है ! सपा के राष्ट्रीय अधय्छ श्री मुलायम सिंह जी ने तो सभी माप-द्ण्ड तोड कर किसानो को आकर्षित करने के लिये उनके दल को जिताने पर फ़्री पानी बिजली देने का वायदा कर दिया है,जैसे सरकारी खजाना मायावती के बाद उनकी पुश्तैनी ज़ायदाद हो ज़ायेगा ! यही नही सभी बलात्कार की शिकार अबलाओं को पुरस्क्रत करने के लिये सरकारी नौकरी प्रदान करने का वायदा कर दिया ,जैसे सरकारी नौकरी की अनिवार्य योग्यता स्नातक न हो कर बलात्कार की पीड्ता होना हो ! सोचिये जो अबला बलात्कारियो से अपने को नही बचा सकी वह प्रशासन की बागडोर कैसे संभाल सकती है ? दूसरी तरफ़ झूठ पर आधारित केस रजिस्टर करवा कर नौकरी करने की होड लग जायेगी जो कि सामाजिक मान-द्ण्डो को समाप्त कर देगा !वैसे ही ५०% से अधिक आरक्छण प्रदान कर अयोग्य लोगो की फ़ौज़ तैयार की जा चुकी है,पता नही आगे की पीढी इसके लिये हमारी पीढी को कभी मुआफ़ करेगी अथवा नही ?चिन्तन का विषय यह भी है कि इस भीड को खडी करने का विदेशों मे भारत की अपनी साख पर कया प्रभाव पडेगा ? इस प्रकार के भाषणो का अर्थ कया है ,क्या यह आचार संहिता का उल्ल्घन नही है कि सरकारी खज़ाना जो किसी की बपौती नही उसके दुरुप्योग का वक्तव्य दिया जाय ? आज देश और प्रदेशो का बजट अरबो रुपयों के घाटे का बनता है जिसके लिये यही तथ्य और राजनेता दोषी है, जो सरकारी खज़ानो का दुरुपयोग राजाओ -महाराजाओं की तरह तुगलकी आदेश पारित करते है,और सालिसिटर जनरल, औडीटर जनरल केवल रिपोर्ट लगा कर अपने कार्यों की इतिश्री कर देते हैं! परन्तु उस्का परिणाम गरीब जनता को अतिरिक्त कर देकर ,मँहगाई के बोझ के तले दब कर चुकाना पडता है या आत्महत्या या आत्म्दाह जैसा घ्रणित कार्य करने को बाध्य होना पड्ता है !
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७
सोमवार, 30 जनवरी 2012
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