सोमवार, 8 नवंबर 2010
बराक ओबामा राष्ट्रपति कम सेल्समैन
बराक ओबामा भारत मे अमेरिका के राष्ट्रपति कम सेल्समैन अधिक नज़र आए ! चिन्ता का विषय यह है कि जिस भारत सरकार ने उनके ३ दिवसीय प्रवास पर ७ अरब खर्च किये ,उस भारत सरकार से ७ अरब के रक्छा समझौते और एयरपोर्ट समझौते से अपनी गिरती साख बचाने के लिये अपने देश वासियों के लिये २६००० नौकरियों की जुगत लगा ली है,परन्तु क्या इन समझौतों की गरीब देश वासियों के लिये कोई आवश्यक आवश्यकता थी? यह समझ नही आता कि भारतीय सरकार आखिर देश की अन्तराष्ट्रीय साख बनाने के लिये ,कब तक ६५% गरीब जनता पर कर्ज़ का बोझ चढाती रहेगी ? अनावश्यक खर्चो का बोझ बज़ट पर घाटे का बोझ बढाता है और गरीब अधिक गरीब होता जाता है ! भारत आँख लगाये था कि ओबामा दान -पात्र मे कुछ अवश्य डालेंगे,परन्तु उन्होने उलटा भारत पर नया बोझ डाल दिया और सम्झाया कि लडाकू विमानो के इंजन खरीदने से भारत की सामरिक शक्ति मे इज़ाफ़ा होगा ! सुझाव और वाक-पटुता के माहिर बराक ने एक तीर से दो शिकार किये एक अपने देश मे २००८ से अपनी गिरती साख बचाने हेतु २६००० नौकरी की व्यव्स्था, दूसरी ओर एशिया मे चीन की बढती हुई साख पर अँकुश लगाने का प्रयास भी किया है या यूँ कहें कि एशिया मे तनाव का सूत्रपात !
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा -२८२००७
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